जम्मू-कश्मीर में इस साल घुसपैठ में बढ़ोतरी हुई है। दिलचस्प और चिंताजनक पहलु यह है कि आतंकी घुसपैठ करने के लिए अब पुराने रूट का इस्तेमाल करने लगे हैं।
कश्मीर घाटी में वर्ष 1947 में कबायलियों ने जिस रूट से घुसपैठ की थी, उसी रूट का घुसपैठ के लिए भरपूर उपयोग हो रहा है। बीते छह महीनों में करीब 100 आतंकी इन्हीं रूट से घुसपैठ कर चुके हैं। घुसपैठ के बाद आतंकी दक्षिण कश्मीर की तरफ जा रहे हैं।
काउंटर इनफिल्ट्रेशन ग्रिड (सीआईजी) के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद संगठन के करीब 100 आतंकी इस साल में अलग-अलग रूट से घाटी में घुसपैठ कर चुके हैं।
गुलमर्ग, बारामुला के बोनियार (उत्तरी कश्मीर) से दक्षिण कश्मीर की तरफ जा रहे हैं। यूसमर्ग के रास्ते का भरपूर उपयोग हो रहा है। इस साल 20-25 आतंकियों को सुरक्षा बलों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ढेर किया। पिछले साल जून महीने के अंत तक 34 आतंकी घुसपैठ कर पाए थे।
गुलमर्ग व बाबा रेशी क्षेेत्र से आतंकी घुसपैठ की इस साल कई वारदातें हो चुकी हैं। इन क्षेत्रों में हथियारों को छिपाया गया। इसके बाद स्थानीय गाड़ियों से कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकी पहुंचे। पुलवामा से ट्रैकिंग करके यूसमर्ग-पखरपोरा रूट पर पहुंचकर आतंकी रैकी करते हैं। पखरपोरा में धार्मिक स्थल पर काफी भीड़ होती है।
इसका लाभ उठाकर आतंकी सुरक्षा बलों के चंगुल से भी निकल जाते हैं। पिछले साल नावेद और नोमान भी यूसमर्ग रूट से ही घाटी में दाखिल हुए थे। दोनों ने पिछले साल अगस्त महीने में उधमपुर में बीएसएफ की गाड़ी पर हमला किया था। नावेद को स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया था। सुरक्षा बलों ने भी इस रूट पर अपनी मुस्तैदी बढ़ाई है।
जम्मू-कश्मीर में इस साल घुसपैठ में बढ़ोतरी हुई है। दिलचस्प और चिंताजनक पहलु यह है कि आतंकी घुसपैठ करने के लिए अब पुराने रूट का इस्तेमाल करने लगे हैं।
कश्मीर घाटी में वर्ष 1947 में कबायलियों ने जिस रूट से घुसपैठ की थी, उसी रूट का घुसपैठ के लिए भरपूर उपयोग हो रहा है। बीते छह महीनों में करीब 100 आतंकी इन्हीं रूट से घुसपैठ कर चुके हैं। घुसपैठ के बाद आतंकी दक्षिण कश्मीर की तरफ जा रहे हैं।
काउंटर इनफिल्ट्रेशन ग्रिड (सीआईजी) के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद संगठन के करीब 100 आतंकी इस साल में अलग-अलग रूट से घाटी में घुसपैठ कर चुके हैं।