यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 की अंतिम चयन सूची पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। याचिका में तर्क दिया गया था कि अंतिम चयन सूची में आरक्षण की 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन किया गया है।
अदालत को इसमें सुनवाई का कोई तर्क नहीं दिखता
याची नितीश शंकर ने 2020 में सिविल सेवा परीक्षा दी थी। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवाई की पीठ ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए अधिवक्ता को चेतावनी दी कि यह उन्हें भारी पड़ सकता है। अदालत को इसमें सुनवाई का कोई तर्क नहीं दिखता। अदालत ने कहा कि सुनवाई का अधिकार कुछ प्रतिबंधों के साथ मिलता है। अधिवक्ता को लोगों को ऐसी याचिकाएं दाखिल करने की सलाह नहीं देनी चाहिए। अदालत ने नोट किया कि आर्थिक कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान 103वें संविधान संशोधन के तहत लागू किया गया था। इससे संबंधित मामला बड़ी बेंच के पास भेजा गया था।
चयन न होना समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन
याचिकाकर्ता के वकील ने बड़ी बेंच के समक्ष अर्जी देकर अपना मामला लंबित आर्थिक कमजोर वर्ग के आरक्षण संबंधी याचिकाओं से संबद्ध करने का अनुरोध किया था। इसकी अनुमति नहीं मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता की शर्त पर याचिका वापस ले ली थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वह यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2020 में योग्य अभ्यर्थी था। उसका चयन न होना समान अवसर के उसके अधिकार का उल्लंघन है।
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यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 की अंतिम चयन सूची पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। याचिका में तर्क दिया गया था कि अंतिम चयन सूची में आरक्षण की 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन किया गया है।
अदालत को इसमें सुनवाई का कोई तर्क नहीं दिखता
याची नितीश शंकर ने 2020 में सिविल सेवा परीक्षा दी थी। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवाई की पीठ ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए अधिवक्ता को चेतावनी दी कि यह उन्हें भारी पड़ सकता है। अदालत को इसमें सुनवाई का कोई तर्क नहीं दिखता। अदालत ने कहा कि सुनवाई का अधिकार कुछ प्रतिबंधों के साथ मिलता है। अधिवक्ता को लोगों को ऐसी याचिकाएं दाखिल करने की सलाह नहीं देनी चाहिए। अदालत ने नोट किया कि आर्थिक कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान 103वें संविधान संशोधन के तहत लागू किया गया था। इससे संबंधित मामला बड़ी बेंच के पास भेजा गया था।
चयन न होना समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन
याचिकाकर्ता के वकील ने बड़ी बेंच के समक्ष अर्जी देकर अपना मामला लंबित आर्थिक कमजोर वर्ग के आरक्षण संबंधी याचिकाओं से संबद्ध करने का अनुरोध किया था। इसकी अनुमति नहीं मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता की शर्त पर याचिका वापस ले ली थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वह यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2020 में योग्य अभ्यर्थी था। उसका चयन न होना समान अवसर के उसके अधिकार का उल्लंघन है।