किसी का सपना टूटने से
गया मैं
अपने सपने में दूर निकल गया कहीं
सो गया
इस दूसरी नींद का सपना
मेरी तस्वीर की ख़ाली जगह की नींद है
जो पूरी दीवार पर फैली है
उदासी खिड़की से झाँकते पर देखा गया
फैलाव है
कि तारों भरे आकाश के नीचे
रात का फूल खिला है जिसकी अकेली
साँवली परछाई का सूनापन है।
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