दिग्गज गीतकार अभिलाष का निधन हो गया। रविवार की रात को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। अभिलाष कैंसर से जूझ रहे थे। फिल्म 'अंकुश' के लिए अभिलाष का लिखा गीत 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' बहुत मशहूर हुआ।
प्रार्थना दरअसल निर्बल की सबसे बड़ी शक्ति है। प्रार्थना के स्वर में गुथी वेदना ह्रदय को बींध देती है। जब सारे उपाय निष्फल हो जाते हैं तो प्रार्थना ही सहारा बनती है। प्रार्थना के आप्त स्वर ईश्वर तक पहुंचते अवश्य हैं। प्रार्थना सकारात्मक ऊर्जा का भी उत्तम स्रोत है।
मन में उमड़ रहे भावों को शब्द चाहिए होते हैं। जब किसी सुंदर प्रार्थना में वो शब्द मिल जाते हैं तो फिर आवाज़ कंठ के साथ ही ह्रदय से भी निकलती है। इसीलिए प्रचलित प्रार्थनाओं के अलावा कुछ फिल्मी प्रार्थना-गीत जब भावों को उस स्तर पर छू पाए तो वो बहुत मशहूर हो गए।
बात कुछ ऐसे ही फिल्मी प्रार्थना गीतों की जो बहुत मशहूर हुए -
1986 में बनी फिल्म ' अंकुश' का अभिलाष द्वारा लिखित गीत-
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमज़ोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे
भूल कर भी कोई भूल हो ना
दूर अज्ञान के हों अँधेरे
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बच के रहें हम
जीतनी भी दे भली ज़िन्दगी दे
बैर हो ना किसी का किसी से
भावना मन में बदले की हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमज़ोर हो ना
हम ना सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बांटें सभी को
सबका जीवन ही बन जाए मधुबन
ओ.. अपनी करुणा का जल तू बहा के
कर दे पावन हर एक मन का कोना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमज़ोर हो ना
1962 में आई फिल्म ' बैजू बावरा' का शकील बदांयुनी का लिखा और नौशाद के संगीत से सजा मौहम्मद रफ़ी की आवाज़ में यह गीत आज भी लोग गाते हैं-
मन तरपत हरि दरशन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, बिनती करत हूँ, रखियो लाज, मन तरपत॥
तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात, तरपत हरि दरशन॥
बिन गुरु ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज, तरपत हरि॥
मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरशन भिक्षा दे दो आज दे दो आज॥
1957 में बनी फिल्म- दो आंखें बारह हाथ का एक गीत -ऐ मालिक तेरे बंदे हम...भी बहुत लोकप्रिय हुआ। गीत के बोल लिखे थे भरत व्यास ने और संगीत से संवारा था बसंत देसाई ने। आवाज़ थी लता मंगेशकर और मन्ना डे की-
ऐ मालिक तेरे बंदे हम
ऐसे हों हमारे करम
नेकी पर चलें
और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम
बड़ा कमज़ोर है आदमी
अभी लाखों हैं इसमें कमी
कर तू जो खड़ा
है दयालु बड़ा
तेरी किरपा से धरती-ज़मीं
दिया तूने हमे जब जनम
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म
जब ज़ुल्मों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें
हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम
और मिटे बैर का ये भरम
नेकी पर चलें
ये अंधेरा घना छा रहा
तेरा इनसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर
कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छिपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम
जो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चलें
1964 में बनी फिल्म ' संत ज्ञानेश्वर' का भरत व्यास द्वारा लिखित गीत- ज्योत से ज्योत जगाते चलो...भी मशहूर हुआ। आवाज़- लता मंगेशकर और मुकेश। संगीत- लक्ष्मीकांत प्यारेलाल।
ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी, सबको गले से लगाते चलो
जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा...
आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का दे दो कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलो, प्रेम की गंगा...
छाई है छाओं और अंधेरा भटक गई हैं दिशाएं
मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएं
धरती को स्वर्ग बनाते चलो, प्रेम की गंगा...
ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी सब को गले से लगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो ...
कौन है ऊँचा कौन है नीचा सब में वो ही समाया
भेद भाव के झूठे भरम में ये मानव भरमाया
धर्म ध्वजा फहराते चलो, प्रेम की गंगा ...
सारे जग के कण कण में है दिव्य अमर इक आत्मा
एक ब्रह्म है एक सत्य है एक ही है परमात्मा
प्राणों से प्राण मिलाते चलो, प्रेम की गंगा ...
जया बच्चन और धर्मेंद्र के अभिनय से सजी 1972 में बनी फिल्म 'गुड्डी' का गुलज़ार द्वारा लिखित गीत -'हम को मन की शक्ति देना, मन विजय करे' भी बहुत लोकप्रिय है। संगीतकार थे बसंत देसाई और आवाज़ थी- वाणी जयराम की। गीत के बोल इस प्रकार हैं-
हम को मन की शक्ति देना, मन विजय करें
दूसरो की जय से पहले, ख़ुद को जय करें।
भेद भाव अपने दिल से साफ कर सकें
दोस्तों से भूल हो तो माफ़ कर सके
झूठ से बचे रहें, सच का दम भरें
दूसरो की जय से पहले ख़ुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना।
मुश्किलें पड़े तो हम पे, इतना कर्म कर
साथ दें तो धर्म का चलें तो धर्म पर
ख़ुद पर हौसला रहें बदी से न डरें
दूसरों की जय से पहले ख़ुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें।
1962 में बनी फिल्म ' मैं चुप रहूंगी' का राजेन्द्र कृष्ण का लिखा गीत- तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो भी बहुत लोकप्रिय है। आवाज़ है लता जी की और संगीत- चित्रगुप्त का। गीत के बोल इस प्रकार हैं-
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो
तुम्ही बंधू , सखा तुम्ही हो
तुम्ही हो साथी तुम ही सहारे
कोई न अपना सिवाए तुम्हारे
तुम्ही हो नैया तुम्ही खिवैया
तुम ही हो बंधू सखा तुम्ही हो ...
जो खिल सके न वो फूल हम हैं
तुम्हारे चरणों की धुल हम हैं
दया की दृष्टि सदा ही रखना
तुम ही हो बंधू सखा तुम ही हो...
फिल्म लगान का मशहूर गीत- 'ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे' भी बहुत कर्णप्रिय है। गीत के बोल लिखे हैं- जावेद अख़्तर ने। संगीतकार- ए. आर. रहमान, आवाज़ है- लता मंगेशकर और उदित नारयण।
ओ पालनहारे
निर्गुण और न्यारे
तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं
हमरी उलझन, सुलझाओ भगवन
तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं
तुम्हीं हमका हो संभाले
तुम्हीं हमरे रखवाले
तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं
[तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं]
चन्दा में तुम्हीं तो भरे हो चांदनी
सूरज में उजाला तुम्हीं से
ये गगन है मगन
तुम्हीं तो दिए हो इसे तारे
भगवन ये जीवन
तुम्हीं ना संवारोगे
तो क्या कोई सँवारे
ओ पालनहारे
निर्गुण और न्यारे
तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं
तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं
जो सुनो तो कहे
प्रभुजी हमरी है बिनती
दुखी जन को, धीरज दो
हारे नहीं वो कभी दुखसे
तुम निर्बल को रक्षा दो
रह पाएं निर्बल सुख से
भक्ति को, शक्ति दो
भक्ति को, शक्ति दो
जग के जो स्वामी हो,
इतनी तो अरज सुनो
हैं पथ में अंधियारे
दे दो वरदान में उजियारे
[ओ पालनहारे
निर्गुण और न्यारे
तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं
हमरी उलझन, सुलझाओ भगवन
तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं]
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1 year ago
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