एक दफ़ा सफ़र में फ़िराक़ साहब के साथ एक पार्सी नौजवान मिस्टर दारूवाला भी इत्तिफ़ाक़ से उसी कम्पार्टमंट में थे। रास्ते भर दिलचस्प बातें होती रहीं। इलाहाबाद का स्टेशन आया तो फ़िराक़ साहब उतरने की तैयारी करने लगे। मिस्टर दारूवाला ने कहा कि वो उनके घर आकर उनसे तफ़सीली बातें करना चाहते हैं और फ़िराक़ साहब से दरख़्वास्त की कि वो अपने घर का पता बता दें।
फ़िराक़ साहब ने कहा, “मैं बैंक रोड पर रहता हूँ। वहां पहुंच कर मेरा घर पूछने के बजाय आप किसी को भी अपना नाम दारू बता दीजिएगा।”
“लेकिन...”
“लेकिन कुछ नहीं। लोग इस नाम की रिआ’यत से आपको ख़ुद ही मेरे यहां पहुंचा देंगे।”
फ़िराक़ साहब ने बड़े इत्मिनान से उन्हें समझाया।
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3 months ago
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