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Exclusive interview: Jays Patron, MLA Hiralal Alawa said - If CM dances in my marriage, I am not going to BJP
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Exclusive interview: कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा बोले- मेरी शादी में सीएम नाचे तो क्या, मैं भाजपा में नहीं जा रहा
जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानी जयस संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा ने कई मुद्दों पर अमर उजाला के साथ खास बातचीत की है। उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधा है तो वहीं अपनी तैयारियों के बारे में भी चर्चा की है।
डॉ. हीरालाल अलावा
- फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश, खासतौर पर मालवा-निमाड़ की राजनीति में अहम भूमिका निभा चुका आदिवासियों का संगठन जयस चर्चा में है। व्यापमं में व्हिसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय और जयस संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा के बीच आज ही सोशल मीडिया पर चौंकाने वाली बयानबाजी सामने आई है। राय का आरोप है कि जयस के संरक्षक अब आदिवासियों के लिए काम नहीं कर रहे, वे सत्ता सुख भोग रहे हैं। सीएम उनकी शादी में नाच रहे हैं। वे तो भाजपा में जा रहे हैं। जयस संरक्षक और कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने अमर उजाला से विशेष बातचीत की है। पढ़ते हैं बातचीत के अंश-
आपकी शादी में सीएम सहित भाजपा के दिग्गज पहुंचे थे, काफी नजदीकियां भी दिखीं, क्या भाजपा में जाने का सोच रहे
अलावा- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। शादी व्यक्तिगत मामला था। हमने सभी को आमंत्रित किया था। चाहे भाजपा के लोग हों, कांग्रेस के लोग हों या स्थानीय दल के लोग हों। सभी आए भी। पर भाजपा में जाने की बात अफवाह है।
बताया जा रहा है कि जयस संगठन में कुछ लोग, या कहें कि युवावर्ग नाराज है, क्यों
अलावा- आरएसएस के इशारे पर एक संगठन जयस के नाम से काम कर रहा है। उसके लोग हैं जो ऐसा कहते हैं। हमारा संगठन मजबूत है। हम हमारे साथियों के लिए राष्ट्रीय स्तर तक लड़ाई लड़ते हैं। कहीं-कोई नाराजगी नहीं है। ये अलग बात है कि कुछ लोग हमारी विचारधारा से हटकर काम कर रहे हैं। उनसे हमारा साफ कहना है कि हम किसी धर्म, जाति, समुदाय, पार्टी के लिए नहीं हैं, हमारा काम संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई लड़ना है। जो ये लड़ाई लड़ रहे हैं उनके साथ हम मरते दम तक हैं। जयस की राजनीति में क्या भूमिका रही
अलावा- हमारे संगठन ने आदिवासियों के लिए काफी काम किया है। आदिवासियों की आवाज को उठाया है। आदिवासी जागरूक हो रहे हैं। अब सरकार भी आदिवासियों की ओर ध्यान देने लगी है। अब बिरसा मुंडा की जयंती मना रहे हैं, टंट्या भील, आदिवासी दिवस को याद कर रहे हैं। भगोरिया में जा रहे हैं। आदिवासियों के इतिहास को राजनीतिक पार्टियां खंगाल रही हैं। आदिवासियों के मुद्दों पर बात हो रही है। पहले किसी भी राजनीतिक दल ने आदिवासियों को गंभीरता से नहीं लिया, सिर्फ वोटबैंक समझा गया। अब मप्र में आदिवासियों का महत्व समझ आने लगा है।
दोनों पार्टियां चुनाव में आदिवासियों को साधना चाहती हैं, क्या कहते हैं
अलावा- ये बात बिलकुल सही है आपकी, पर ये बात भी है कि आदिवासी वोटबैंक की तरह इस्तेमाल नहीं होगा। जो पार्टी उनके मुद्दों पर काम करेगी। अनुसूची-5, अनुसूची-6, उनको वन अधिकार कानून जैसे गंभीर मुद्दे हैं, जो आजादी के इतने सालों बाद भी आदिवासियों को नहीं मिले हैं। इन मुद्दों पर जो भी राजनीतिक दल अमलीजामा पहनाता है, आदिवासी समाज सीधी सी बात उन्हीं को सपोर्ट करेगा। बाकि गुमराह करने वाला कोई भी दल आदिवासियों को दारू, पैसे का लालच देकर जो वोट हासिल किया जाता था, वो नहीं चलेगा। अब आदिवासी समाज अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। जल, जमीन, जंगल की लड़ाई लड़ रहे हैं। जो उनको हक दिलाएगी उन्हीं पार्टियों के साथ समाज खड़ा होगा।
चुनाव नजदीक हैं, क्या तैयारियां हैं
अलावा- चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। हम लोग ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही शादी से फ्री हुआ हूं तो पूरा वक्त तो नहीं दे पा रहा। पर बूथ स्तर पर टीम काम कर रही है। संगठन काम कर रहा है।
सिवनी में जो घटा, वो क्या था
अलावा- सिवनी में दो आदिवासी लोग, हमारे गौंड समुदाय के थे, उन पर गौकशी का आरोप लगाया, आरोप लगाकर बर्बतापूर्वक मॉब लिंचिंग में मार दिया गया। हमारी मांग है कि मामले में जो भी आरोपी हैं। चाहे वो किसी भी धर्म के हों, किसी भी संगठन के हों, हमने मांग की है कि उन्हें आदिवासी क्षेत्रों में प्रतिबंधित किया जाए, साथ ही जो भी दोषी पाए जाएं, उन्हें फांसी की सजा दी जाए।
विस्तार
मध्य प्रदेश, खासतौर पर मालवा-निमाड़ की राजनीति में अहम भूमिका निभा चुका आदिवासियों का संगठन जयस चर्चा में है। व्यापमं में व्हिसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय और जयस संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा के बीच आज ही सोशल मीडिया पर चौंकाने वाली बयानबाजी सामने आई है। राय का आरोप है कि जयस के संरक्षक अब आदिवासियों के लिए काम नहीं कर रहे, वे सत्ता सुख भोग रहे हैं। सीएम उनकी शादी में नाच रहे हैं। वे तो भाजपा में जा रहे हैं। जयस संरक्षक और कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने अमर उजाला से विशेष बातचीत की है। पढ़ते हैं बातचीत के अंश-
आपकी शादी में सीएम सहित भाजपा के दिग्गज पहुंचे थे, काफी नजदीकियां भी दिखीं, क्या भाजपा में जाने का सोच रहे
अलावा- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। शादी व्यक्तिगत मामला था। हमने सभी को आमंत्रित किया था। चाहे भाजपा के लोग हों, कांग्रेस के लोग हों या स्थानीय दल के लोग हों। सभी आए भी। पर भाजपा में जाने की बात अफवाह है।
बताया जा रहा है कि जयस संगठन में कुछ लोग, या कहें कि युवावर्ग नाराज है, क्यों
अलावा- आरएसएस के इशारे पर एक संगठन जयस के नाम से काम कर रहा है। उसके लोग हैं जो ऐसा कहते हैं। हमारा संगठन मजबूत है। हम हमारे साथियों के लिए राष्ट्रीय स्तर तक लड़ाई लड़ते हैं। कहीं-कोई नाराजगी नहीं है। ये अलग बात है कि कुछ लोग हमारी विचारधारा से हटकर काम कर रहे हैं। उनसे हमारा साफ कहना है कि हम किसी धर्म, जाति, समुदाय, पार्टी के लिए नहीं हैं, हमारा काम संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई लड़ना है। जो ये लड़ाई लड़ रहे हैं उनके साथ हम मरते दम तक हैं।
डॉ. अलावा की शादी में सीएम शिवराज भी पहुंचे थे।
- फोटो : फाइल फोटो
जयस की राजनीति में क्या भूमिका रही
अलावा- हमारे संगठन ने आदिवासियों के लिए काफी काम किया है। आदिवासियों की आवाज को उठाया है। आदिवासी जागरूक हो रहे हैं। अब सरकार भी आदिवासियों की ओर ध्यान देने लगी है। अब बिरसा मुंडा की जयंती मना रहे हैं, टंट्या भील, आदिवासी दिवस को याद कर रहे हैं। भगोरिया में जा रहे हैं। आदिवासियों के इतिहास को राजनीतिक पार्टियां खंगाल रही हैं। आदिवासियों के मुद्दों पर बात हो रही है। पहले किसी भी राजनीतिक दल ने आदिवासियों को गंभीरता से नहीं लिया, सिर्फ वोटबैंक समझा गया। अब मप्र में आदिवासियों का महत्व समझ आने लगा है।
दोनों पार्टियां चुनाव में आदिवासियों को साधना चाहती हैं, क्या कहते हैं
अलावा- ये बात बिलकुल सही है आपकी, पर ये बात भी है कि आदिवासी वोटबैंक की तरह इस्तेमाल नहीं होगा। जो पार्टी उनके मुद्दों पर काम करेगी। अनुसूची-5, अनुसूची-6, उनको वन अधिकार कानून जैसे गंभीर मुद्दे हैं, जो आजादी के इतने सालों बाद भी आदिवासियों को नहीं मिले हैं। इन मुद्दों पर जो भी राजनीतिक दल अमलीजामा पहनाता है, आदिवासी समाज सीधी सी बात उन्हीं को सपोर्ट करेगा। बाकि गुमराह करने वाला कोई भी दल आदिवासियों को दारू, पैसे का लालच देकर जो वोट हासिल किया जाता था, वो नहीं चलेगा। अब आदिवासी समाज अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। जल, जमीन, जंगल की लड़ाई लड़ रहे हैं। जो उनको हक दिलाएगी उन्हीं पार्टियों के साथ समाज खड़ा होगा।
हीरालाल अलावा डॉक्टरी छोड़करक राजनीति में आए हैं।
- फोटो : अमर उजाला
चुनाव नजदीक हैं, क्या तैयारियां हैं
अलावा- चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। हम लोग ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही शादी से फ्री हुआ हूं तो पूरा वक्त तो नहीं दे पा रहा। पर बूथ स्तर पर टीम काम कर रही है। संगठन काम कर रहा है।
सिवनी में जो घटा, वो क्या था
अलावा- सिवनी में दो आदिवासी लोग, हमारे गौंड समुदाय के थे, उन पर गौकशी का आरोप लगाया, आरोप लगाकर बर्बतापूर्वक मॉब लिंचिंग में मार दिया गया। हमारी मांग है कि मामले में जो भी आरोपी हैं। चाहे वो किसी भी धर्म के हों, किसी भी संगठन के हों, हमने मांग की है कि उन्हें आदिवासी क्षेत्रों में प्रतिबंधित किया जाए, साथ ही जो भी दोषी पाए जाएं, उन्हें फांसी की सजा दी जाए।
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