चुनाव डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमित मंडल
Updated Fri, 14 Dec 2018 07:12 PM IST
मध्यप्रदेश में भाजपा को पटखनी देने के बाद हर कोई कमलनाथ और ज्योतिरादित्य की ही चर्चा में व्यस्त है। लेकिन दिग्विजय सिंह का जिक्र कहीं नहीं है। चुनाव के दौरान भले ही दिग्विजय सिंह ने प्रचार से दूर रहने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने दूसरे तरीके से कांग्रेस के लिए जमकर पसीना बहाया। चुनाव से पहले ही दिग्गी कांग्रेस के लिए माहौल बनाने में जुट गए थे।
कांग्रेस के इस दिग्गज नेता और पूर्व सीएम ने चुनाव से पहले ही नर्मदा यात्रा के जरिए पार्टी का प्रचार शुरू कर दिया था। दिग्विजय ने 6 महीने में नर्मदा यात्रा पूरी की। इस दौरान उन्होंने समर्थकों के साथ 3300 किमी. की पैदल यात्रा पूरी की। उनकी ये यात्रा पवित्र नदी के किनारे पर नरसिंहपुर में खत्म हुई।
यात्रा और सियासत का संगम
उन्होंने अपनी यात्रा को सामाजिक पहलू से जोड़ते हुए सियासी अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश की और काफी हद तक कामयाब भी रहे। नर्मदा की दुर्दशा को लेकर उन्होंने शिवराज सरकार को घेरते हुए यात्रा शुरू की थी। उनका कहना था कि गैरकानूनी रेत खनन की वजह से नर्मदा को लगातार नुकसान पहुंच रहा है और सरकार खामोश है। इस यात्रा के दौरान दिग्विजय ने 230 में से 110 विधानसभा सीटों को कवर किया। उनकी यात्रा में भीड़ भी खूब जुटी। उन्होंने इसे यात्रा और सियासत का संगम बना दिया।
यहां पहुंचे दिग्विजय
खरगोन - कांग्रेस जीती
खंडवा - भाजपा जीती
होशंगाबाद - भाजपा जीती
नरसिंहपुर - भाजपा जीती
जबलपुर ईस्ट - कांग्रेस जीती
दामोह- कांग्रेस जीती
हरदा- भाजपा जीती
डिंडौरी - कांग्रेस जीती
बड़वानी- भाजपा जीती
अनूपपुर - कांग्रेस जीती
अलीराजपुर-कांग्रेस जीती
110 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचे
रोजाना करीब 15-20 किमी. चलकर उन्होंने कुल 110 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया। 9 अप्रैल 2018 को 190 दिन में उन्होंने अपनी यात्रा का समापन किया। इस यात्रा दौरान उनकी पत्नी अमृता राय भी साथ रहीं। नर्मदा परिक्रमा के क्रम में वह गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ भी गए। नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से ही दिग्विजय ने अपनी यात्रा शुरू की थी और यहीं पर समापन भी किया था। आखिर उनकी ये यात्रा और संकल्प काम आया और भाजपा को 15 साल पुरानी सत्ता से हाथ धोना पड़ा। राघोगढ़ से दिग्विजय के बेटे ने भी जीत हासिल करते हुए सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की उम्मीद बरकरार रखी।
मध्यप्रदेश में भाजपा को पटखनी देने के बाद हर कोई कमलनाथ और ज्योतिरादित्य की ही चर्चा में व्यस्त है। लेकिन दिग्विजय सिंह का जिक्र कहीं नहीं है। चुनाव के दौरान भले ही दिग्विजय सिंह ने प्रचार से दूर रहने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने दूसरे तरीके से कांग्रेस के लिए जमकर पसीना बहाया। चुनाव से पहले ही दिग्गी कांग्रेस के लिए माहौल बनाने में जुट गए थे।
कांग्रेस के इस दिग्गज नेता और पूर्व सीएम ने चुनाव से पहले ही नर्मदा यात्रा के जरिए पार्टी का प्रचार शुरू कर दिया था। दिग्विजय ने 6 महीने में नर्मदा यात्रा पूरी की। इस दौरान उन्होंने समर्थकों के साथ 3300 किमी. की पैदल यात्रा पूरी की। उनकी ये यात्रा पवित्र नदी के किनारे पर नरसिंहपुर में खत्म हुई।
यात्रा और सियासत का संगम
उन्होंने अपनी यात्रा को सामाजिक पहलू से जोड़ते हुए सियासी अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश की और काफी हद तक कामयाब भी रहे। नर्मदा की दुर्दशा को लेकर उन्होंने शिवराज सरकार को घेरते हुए यात्रा शुरू की थी। उनका कहना था कि गैरकानूनी रेत खनन की वजह से नर्मदा को लगातार नुकसान पहुंच रहा है और सरकार खामोश है। इस यात्रा के दौरान दिग्विजय ने 230 में से 110 विधानसभा सीटों को कवर किया। उनकी यात्रा में भीड़ भी खूब जुटी। उन्होंने इसे यात्रा और सियासत का संगम बना दिया।
यहां पहुंचे दिग्विजय
खरगोन - कांग्रेस जीती
खंडवा - भाजपा जीती
होशंगाबाद - भाजपा जीती
नरसिंहपुर - भाजपा जीती
जबलपुर ईस्ट - कांग्रेस जीती
दामोह- कांग्रेस जीती
हरदा- भाजपा जीती
डिंडौरी - कांग्रेस जीती
बड़वानी- भाजपा जीती
अनूपपुर - कांग्रेस जीती
अलीराजपुर-कांग्रेस जीती
110 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचे
रोजाना करीब 15-20 किमी. चलकर उन्होंने कुल 110 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया। 9 अप्रैल 2018 को 190 दिन में उन्होंने अपनी यात्रा का समापन किया। इस यात्रा दौरान उनकी पत्नी अमृता राय भी साथ रहीं। नर्मदा परिक्रमा के क्रम में वह गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ भी गए। नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से ही दिग्विजय ने अपनी यात्रा शुरू की थी और यहीं पर समापन भी किया था। आखिर उनकी ये यात्रा और संकल्प काम आया और भाजपा को 15 साल पुरानी सत्ता से हाथ धोना पड़ा। राघोगढ़ से दिग्विजय के बेटे ने भी जीत हासिल करते हुए सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की उम्मीद बरकरार रखी।