नेस्ले कंपनी की मैगी के बाद उसका मैकरोनी पास्ता भी इंसानी स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं पाया गया है। इस बात का खुलासा शहर के एक डिस्ट्रीब्यूटर के प्रतिष्ठान से लिए गए नमूने की जांच में हुआ है। पास्ता में लेड की मात्रा मानक से काफी अधिक पाई गई है।
डिस्ट्रीब्यूटर का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है और संबंधित रिपोर्ट आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को भेज दी गई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने नेस्ले के डिस्ट्रीब्यूटर श्रीजी ट्रेडर्स के यहां से 10 जून 2015 को पास्ता का सैंपल लिया था।
जांच के लिए ये नमूने लखनऊ के राजकीय खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला भेजे गए थे, जिसकी जांच रिपोर्ट 2 सितंबर 2015 को आई। इसमें नमूनों के फेल होने की पुष्टि की गई है। विभाग ने नेस्ले कंपनी को इस बाबत एक पत्र भेजा था। रिपोर्ट के विरुद्ध अपील करने के लिए कंपनी को एक माह का समय भी दिया गया था, लेकिन नेस्ले इंडिया ने इस नोटिस को रिसीव ही नहीं किया।
इस पर विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए कार्रवाई के लिए फाइल आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को भ़ेज दी है। अभिहित अधिकारी डॉ. अरविंद यादव ने बताया की मानक के अनुसार मैकरोनी पास्ता में लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम होनी चाहिए। लेकिन जांच में यह 6 पीपीएम पाई गई है। जो मानक के दूने से भी अधिक है।
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार लेड की ज्यादा मात्रा इंसान के लिए घातक होती है। यह कई बीमारियों को जन्म देती है। जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि नेस्ले कंपनी के मैकरोनी पास्ता की जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य मानक के अनुरूप नहीं पाई गई है।
जांच रिपोर्ट आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को भेज दी गई है। स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटर का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। शासन के निर्देश पर अगली कार्रवाई की जाएगी।
नेस्ले कंपनी की मैगी के बाद उसका मैकरोनी पास्ता भी इंसानी स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं पाया गया है। इस बात का खुलासा शहर के एक डिस्ट्रीब्यूटर के प्रतिष्ठान से लिए गए नमूने की जांच में हुआ है। पास्ता में लेड की मात्रा मानक से काफी अधिक पाई गई है।
डिस्ट्रीब्यूटर का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है और संबंधित रिपोर्ट आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को भेज दी गई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने नेस्ले के डिस्ट्रीब्यूटर श्रीजी ट्रेडर्स के यहां से 10 जून 2015 को पास्ता का सैंपल लिया था।
जांच के लिए ये नमूने लखनऊ के राजकीय खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला भेजे गए थे, जिसकी जांच रिपोर्ट 2 सितंबर 2015 को आई। इसमें नमूनों के फेल होने की पुष्टि की गई है। विभाग ने नेस्ले कंपनी को इस बाबत एक पत्र भेजा था। रिपोर्ट के विरुद्ध अपील करने के लिए कंपनी को एक माह का समय भी दिया गया था, लेकिन नेस्ले इंडिया ने इस नोटिस को रिसीव ही नहीं किया।