पुराने और अनुभवी ड्राइवर कहते हैं कि कार चलाना कोई भी सीख सकता है। लेकिन जो कार चलाना नहीं जानते उन्हें यह बड़ा काम लग सकता है। कार सीखने वाला शख्स जब पहली बार स्टीयरिंग संभाल रहा हो तो सब कुछ थोड़ा मुश्किल ही लगता है। लेकिन इसके लिए अगर आप कुछ कुछ जरूरी टिप्स जान गए तो फिर ड्राइविंग सीखना बहुत आसान लगने लगता है। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही आसान और जरूरी टिप्स बता रहे हैं।
ड्राइविंग सीखने से पहले ट्रैफिक नियमों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। यातायत के नियमों को समझना और पालन करना बेहद जरूरी होता है। सड़क पर होने वाली ज्यादातर दुर्घटनाओं में अक्सर ड्राइवर की गलती देखी जाती है। अगर आप नियमों के मुताबिक सही तरीके से ड्राइविंग नहीं करते हैं तो आप खुद के साथ दूसरों को भी मुसीबत में डाल सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप ड्राइविंग की बारीकियों को पहले सीखें इसके बाद ही गाड़ी को सड़क पर उतारें। अगर आप ऐसा करेंगे तो खुद भी अपने घर सुरक्षित जाएंगे। साथ ही दूसरे भी अपने घर सही सलामत पहुंचेंगे। सुरक्षित ड्राइविंग को बढ़ावा देने के लिए आज के समय में कई कार निर्माता कंपनियां अपने ड्राइविंग प्रशिक्षण स्कूल भी चला रही हैं। ये ड्राइविंग स्कूल उस पद्धति पर काम कर रही हैं जिससे ड्राइविंग सीखना बेहद आसान हो गया है।
सिमुलेटर से करें शुरुआत
ड्राइविंग स्कूल की सबसे खास बात यह होती है कि यह सड़क पर ड्राइविंग सिखाने से पहले प्रशिक्षुओं को एडवांस ड्राइविंग ट्रेनिंग सिमुलेटर से रू-ब-रू करवाती हैं। इसका फायदा यह होता कि कार चलाना सीख रहा व्यक्ति, सड़क पर गाड़ी के संतुलन, दूसरी गाड़ी से दूरी, मोड़ों पर स्पीड लिमिट (गति सीमा), ओवरटेकिंग के दौरान आत्मविश्वास, ब्रेक लगाना आदि जरूरी चीजों को सिमुलेटर पर ही सीख लेता है। इसके बाद जब वो सड़क पर उतरता है तो उसे पता होता है कि ड्राइविंग की बुनियादी बातें क्या हैं।
क्या होता है सिमुलेटर
सिमुलेटर वीडियो गेम की तरह होता है। जिसमें एक केबिन, स्टीयरिंग एवं थ्रीडी स्क्रीन पर दिखने वाली सड़कें होती हैं। पूरी दुनिया में प्रशिक्षण के लिए एडवांस सिमुलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिए एक सुरक्षित केबिन में बैठकर ड्राइविंग का छात्र कठिन परिस्थितियों को समझते हुए ड्राइविंग का कौशल विकसित कर सकता है। भारत में कई ड्राइविंग स्कूल इस टेक्नोलॉजी के जरिए अपने छात्रों को ड्राइविंग की ट्रेनिंग देते हैं। जिसमें एक केबिन में लगभग सभी कंट्रोल जैसे कि स्टीयरिंग, गियर, क्लच, ब्रेक आदि कई स्क्रीन के साथ दिए गए हैं। इसमें वास्तविक ड्राइविंग परिस्थिति प्रशिक्षु के सामने आती रहती है। ऐसी परिस्थितियों की संरचना के लिए सिमुलेटर में कंप्यूटर साफटवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें स्टूडेंट के पास ड्राइविंग वातावरण जैसे कि शहरी सड़क या हाईवे आदि चुनने का विकल्प होता है। इस ट्रेनिंग के जरिए छात्र सड़क पर प्रशिक्षण शुरू करने से पहले सभी बुनियादी चीजों का ज्ञान हासिल कर सकता है।
तेज रफ्तार से बचें
आमतौर पर देखा जाता है कि युवा चालक तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के शौकीन होते हैं। लेकिन कार की जितनी ज्यादा रफ्तार होगी, सड़क पर दुर्घटना की संभावना भी उतनी ज्यादा बनी रहेगी। इसलिए सड़क पर गाड़ी हमेशा धीरे चलाएं।
सीट बेल्ट जरूर पहनें
कार चलाते समय सीट बेल्ट जरूर पहनें और अपने साथ वाले को भी सीट बेल्ट पहनने के लिए कहें। ऐसा सिर्फ कानूनी कार्रवाई से बचने की मानसिकता के साथ करने की बजाए, अपनी सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए। ज्यादातर सड़क दुर्घटनाओं में देखा गया है कि 56 फीसदी युवा सीट बेल्ट नहीं लगाए हुए थे।