अकसर आप एसयूवी के पीछे या साइड में AWD (ऑल व्हील ड्राइव) या 4WD (फोर व्हील ड्राइव) लिखा देखा होगा। आप सोचते होंगे कि इन दोनों में अंतर क्या है। आम धारणा यह है कि इन दोनों टाइप्स में इंजन चारों पहियों को चलाता है और दोनों में कोई खास मैकेनिकल अंतर नहीं है। लेकिन असलियत में इन दोनों में अच्छा खासा अंतर है, आइए हम आपको बताते हैं...
क्या है फर्क
आजकल AWD या ऑल व्हील ड्राइव का इस्तेमाल आमतौर पर उन सभी कारों में किया जाता है, जिनमें चारों पहिए एक साथ चलते हैं। वहीं दूसरी तरफ 4WD उन गाड़ियों के लिए इस्तेमाल होता है जिसमें ड़्राइवर 2WD यानी टू व्हील ड्राइव सिस्टम पर चलने वाली गाड़ी को एक मैकेनिकल सिस्टम के जरिए एक साथ चारों पहियों को चलाने का विकल्प चुनता है।
AWD या ऑल व्हील ड्राइव
जैसा की नाम से स्पष्ट है कि ऑल व्हील ड्राइव सिस्टम के जरिए गाड़ी के आगे और पीछे के पहियों को हमेशा ताकत मिलती है। लेकिन इनमें भी दो ड्राइवट्रेन आते हैं। पहले ड्राइवट्रेन में चारों पहिए एक साथ लगातार चलते हैं, जिसे फुल टाइम ऑल व्हील ड्राइव भी कहा जाता है। जबकि दूसरा पार्ट टाइम AWD या ऑटोमैटिक AWD कहलाता है, तो ज्यादातर टू-व्हील ड्राइव मोड में चलता है, लेकिन जब अतिरिक्त पावर की जरूरत होती है, तो यह चारों पहियों को एक साथ पावर देता है।
क्या हैं AWD के फायदे और नुकसान
4WD सिस्टम में चारों पहियों को समान पावर मिलती है, जिससे प्रत्येक पहिया एक ही रफ्तार से घूमता है। इसका फायदा तब होता है जब गाड़ी एक सीधी दिशा में दौड़ती है या फिर ऑफ रोडिंग के दौरान जहां गाड़ी फंसने की संभावना होती है और फिसलन होती है। लेकिन कंक्रीट की सड़कों पर इस 4WD सिस्टम का कोई फायदा नहीं है। वहीं AWD सिस्टम प्रत्येक पहियों को जरूरत के मुताबिक पावर देता है। जिससे ऑफरोडिंग में आसानी रहती है।
क्यों चाहिए AWD
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ऑफरोडिंग या खराब रास्तों पर ड्राइविंग के दौरान AWD को शुरू करने के लिए कोई अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती। इसके सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जाहं कम घर्षण होता है, तो यह सिस्टम इसका पता लगा कर पहियों को जरूरत के मुताबिक पावर देता है। वहीं AWD सिस्टम बर्फ, बारिश या फिर हल्की फुल्की ऑफरोडिंग जगहों पर बढ़िया काम करता है। हालांकि जिन्हें ऑफरोडिंग का शौक है वे AWD को ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। वहीं 2WD के मुकाबले AWD से तेल की खपत ज्यादा होती है और वाहन महंगा भी होता है।