गाड़ियों के रखरखाव को लेकर हम बहुत सारी गलतफहमियां पाल लेते हैं। चाहे वह प्रीमियम पेट्रोल या डीजल के बारे में हो या नई कार के माइलेज को लेकर। लेकिन असलियत में ये केवल एक भ्रम भर हैं। आइए आज आपको बता रहे हैं पांच मिथकों के बारे में। अगर आप भी हैं उनके शिकार तो इन्हें पढ़ कर आप अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं।
प्रीमियम ईंधन से बढ़ती है इंजन की क्षमता
कई लोग मानते हैं कि पेट्रोल-डीजल में हाई ऑक्टेन या प्रीमियम ईँधन के इस्तेमाल से बाइक या कार की रफ्तार पढ़ जाती है। हम उसे सीधे-सीधे इंजन की परफॉरमेंस से जोड़ लेते हैं। लेकिन यह गलत है क्योंकि ज्यादा ऑक्टेन इंजन की क्षमता नहीं बढ़ाता है। बल्कि प्रीमियम फ्यूल के इस्तेमाल से ईंधन को पूरी तरह से जलाने के लिए इंजन को कम जोर लगाना पड़ता है, और थोड़ा ज्यादा माइलेज मिलता है। वहीं कम क्षमता वाले वाहनों में इसका कोई असर नहीं पड़ता है।
जल्दी-जल्दी ऑयल बदलना
कुछ लोग सोचते हैं कि गाड़ी की परफॉरमेंस बनाए रखने के लिए गाड़ी की इंजन ऑयल हर 4000 किमी पर ही बदल देना चाहिए। हालांकि तेल बदलना अच्छा है लेकिन यह निर्णय आपका अपना होना चाहिए। अगर कंपनियां ऐसा करने के लिए कहती हैं तो वह केवल अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए ऐसा करती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वाहन कंपनियां एक तय किमी के बाद ही इंजन ऑयल बदलने के लिए कहती हैं और हमें उसका पालन करना भी चाहिए। जल्दी-जल्दी इंजन ऑयल बदलना आपकी पॉकेट पर ही भारी पड़ेगा। इंजन ऑयल का लेवल जांचने के लिए डिप स्टिक का प्रयोग करें।
नई कार देती है कम माइलेज!
इन दिनों आने वाली ज्यादातर कारें सीधे फैक्टरी से ही आती हैं और कुछ किमी चली हुई होती हैं। लेकिन बाइकों के मामले में ऐसा नहीं होता है। क्योंकि बाइक के इंजन पार्ट्स को लुब्रीकेट करने के लिए इंजन ऑयल की जरूरत होती हैं और दोनों को ट्यून होने के लिए ब्रेक-इन पीरियड की जरूरत होती है। लेकिन कार के मामले में ऐसा नहीं है, आपको बस अपने रेसिंग स्किल्स के साथ एक्सीलेटर और आरपीएम पर काबू रखना होगा।
मैनुअल कारें देती हैं ज्यादा माइलेज!
आमतौर पर लोगों में एक आम धारणा होती है कि मैनुअल कारें ऑटोमैटिक कारों से ज्यादा माइलेज देती हैं। लेकिन अगर सिटी ड्राइविंग की बात करें, तो असलियत में चाहे ऑटोमैटिक हो या मैनुअल, माइलेज पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। क्योंकि बार-बार ब्रेक और गियरशिफ्ट से माइलेज पर असर पड़ता है। आमतौर पर एक कार पांच साल में 80 फीसदी शहर में और केवल 20 फीसदी ही हाईवे पर चलती है। हाईवे पर मैनुअल कार चलाते समय हम अपनी पसंद और जरूरत के मुताबिक गियर बदल लेते हैं। लेकिन अगर सीवीटी की बात करें तो लगातार एक ही स्पीड पर क्रूजिंग करने से इंजन पर कम लोड पड़ता है, जिससे ज्याजा माइलेज मिलता है। मैनुअल के मुकाबले सीवीटी ऑटोमैटिक ज्यादा माइलेज देता है।