अगर आप सेकेंड हैंड कार लेने की योजना बना रहे हैं, तो जरूरी है कि आप पहले उसकी अच्छे से जांच-पड़ताल कर लें। क्योंकि सेकेंड हैंड कार पर डीलर्स कोई गारंटी नहीं देते। कहीं ऐसा न हो कि आपको कार लेने के बाद पछताना पड़े। इसलिए पुरानी कार खरीदते समय बेहद अलर्ट रहने की जरूरत है। हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं, सेकेंड हैंड कार खरीदने से पहले इन टिप्स को फॉलो करेंगे, तो आपको बिल्कुल भी पछताना नहीं पड़ेगा।
चेक करें गाड़ी की हिस्ट्री
गाड़ी लेने से पहले उस ब्रांड के शोरूम जरूर जाएं, और वहां के सर्विस डिपार्टमेंट में जाकर गाड़ी का नंबर देकर उसकी हिस्ट्री जरूर चेक करवाएं। कार अगर शोरूम में ही सर्विस होती रही है, तो उसके पूरी डिटेल वहां स्टोर होगी। इससे न केवल आपको रेगुलर सर्विस की जानकारी मिलेगी वहीं अगर किसी शख्स ने कार मीटर के साथ छेड़छाड़ की है, तो वह भी पकड़ में आ जाएगी।
इंजन जरूर चेक करें
कार का बोनट खोल कर देखें कि क्या इंजन के आसपास कोई ऑयल लीकेज तो नहीं है। अगर आपको लीकेज दिखाई देता है, इसका मतलब है कि इंजन खोलने का वक्त आ गया है। ऐसे गाड़ी को बिल्कुल भी हाथ न लगाएं। डीजल गाड़ियों में खासतौर पर यह समस्या ज्यादा दिखाई देती है। वहीं डीजल कारों का टर्बो भी खराब हो जाता है, जिसकी कीमत 70-80 हजार से कम नहीं होती। एक अच्छा मैकेनिक ही इंजन की खराबी का पता लगा सकता है, अतः गाड़ी फाइनल करने से पहले किसी मैकेनिक को जरूर साथ ले जाएं।
टायरों को करें चेक
आमतौर पर कार के टायरों की लाइफ 35 से 45 हजार किमी तक होती है। अगर उसमें नाइट्रोजन ही इस्तेमाल की जाती रही होगी, तो शायद 50 हजार किमी तक चल जाएं। पुरानी कार लेते वक्त कार के टायर जरूर चेक करें। अगर टायर नए जैसे हैं, तो इसका मतलब टायर हाल ही में बदले गए हैं, या गाड़ी कम चली है। ये आपको स्पीडोमीटर कंसोल से पता चल जाएगा। वहीं अगर टायरों कितने गिसे हुए हैं इसका पता लगाने के लिए कार की चाबी को थ्रेड में डालें, अगर चाबी ज्यादा अंदर तक जाए इसका मतलब टायर अभी चल सकते हैं। क्योंकि मान कर चलें कि अगर किसी सेडान कार के चारों टायर बदलवाते हैं, तो कम से कम 12 से 16 हजार रुपए का खर्च अतिरिक्त पड़ेगा।
पेंट पर जरूर दें ध्यान
सेकेंड हैंड कार खरीदने से पहले उसका पेंट जरूर चेक करें। खास तौर पर दोनों तरफ दरवाजों, फ्रंट और पीछे की तरफ के पेंट पर जरूर ध्यान दें। क्योंकि ज्यादातर टक्कर फ्रंट, बैक या साइड से होती है। अगर कार री-पेंट हुई होगी, तो आपको बॉडी पैनल पर पेंट के रंग से साफ पता चल जाएगा कि कार एक्सिडेंटल है। वक्त के साथ कार का पेंट भी फीका पड़ने लगता है, वहीं अगर एक्सिडेंट हुआ होगा, तो पैच साफ दिखाई देंगे। वहीं अगर पूरी कार री-पेंट हुई है, तो इसका भी पता लगाना आसान है, विंडो रबर और दरवाजों के नीचे और ऊपर उंगलियों से चेक करें, अगर कुछ खुरदुरापन महसूस हो तो कार री-पेंट हुई हो सकती है।