एशिया के सबसे बड़े जू का हाल देखिए। यहां रहने वालों को भी गरमी लगती है। यहां रहने वाले भी प्यास से बेहाल होते हैं। तस्वीरें।
मई का महीना। 44 डिग्री तापमान। गर्मी, चिलचिलाती धूप और लू की मार से सिर्फ इंसान ही नहीं छतबीड़ जू के जानवर भी बेहाल हैं। उसपर वन विभाग के मुलाजिमों की लापरवाही की वजह से इन जानवरों के निवास स्थान पर पानी किल्लत ने इन्हें और ज्यादा व्याकुल कर दिया है।
इंसान के पास जुबान है, वह अपनी हर परेशानी दूसरे से सांझा कर सकता है, लेकिन जू में कैद इन सैकड़ों बेजुबान जानवरों का क्या। ये अपनी परेशानी कैसे और किससे बया करें। विभाग की ओर से जू में जानवरों को पानी पीने के लिए सीमेंट के टब बनावाए गए हैं।
अमर उजाला की टीम ने शुक्रवार को जू का जायजा लिया तो टीम को वन्यप्राणियों के बेड़े में बनाए गए पानी के अधिकतर टब के सूखे मिले। प्यास से परेशान जानवर व्याकुल होकर अपने बेड़े में इधर उधर चक्कर लगा रहे थे। वहीं विभाग द्वारा जू में बने कुछ टब्स में पानी तो डाल दिया जाता है, लेकिन गर्मी के मौसम में पानी इतना गर्म हो जाता है कि वन्य प्राणी टब में मुंह लगाना भी मुनासिब नहीं समझते।
नतीजतन, वन्य प्राणियों को पूरे दिन प्यास की वजह से परेशान होना पड़ता। यहां आने वाले सैलानियों का कहना है कि जहां पर जानवरों के लिए पानी का टब बनाया गया है, वहां छांव होना चाहिए और हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि टब में पानी है या नहीं। इससे वन्य प्राणियों को गर्मी में काफी राहत मिलेगी।