देश की सरहद की रक्षा करने के साथ-साथ सेना घाटी के दुर्गम इलाकों में रहने वाले बच्चों के चेहरों की मुस्कान भी लौटा रही है और यह नेक काम कर रही है सेना की विंग 'रोमियो फोर्स', जानिए कैसे।
भारतीय सेना के जवान एक ऐसी जन सेवा कर रहे हैं, जिसमें न तो इंसान का मजहब मायने रखता है और न ही जातपात देखी जाती है। बच्चों का इलाज और उससे उनके अभिभावकों को मिलने वाली खुशी को ही सेना के जवान अपनी सेवा का इनाम मानते हैं। घाटी के विभिन्न दुर्गम इलाकों में इसी सेवाभाव में जुटी है, सैन्य बिग्रेड की एक विशेष विंग ‘रोमियो फोर्स’।
हालांकि सैन्य जवानों और अफसरों की इस विशेष टीम के कंधों पर घाटी में सरहदों की सुरक्षा के साथ-साथ आतंकवाद से लड़ने की बड़ी जिम्मेदारी भी है। मगर इस टीम ने एक ऐसा बीड़ा भी उठा रखा है, जिससे घाटी के दुर्गम इलाकों में रहने वाली आवाम को बड़ी मदद मिलती है। इसी कड़ी में ये ‘रोमियो फोर्स’ ऐसे बच्चों का इलाज करवा रही है, जिनके होंठ पैदाइशी असामान्य होते हैं।
विशेषज्ञ डॉक्टर संजीव कौशिक बताते हैं कि कई मामलों में बच्चों के जन्म के समय उनके होंठ कटे हुए होते हैं। इस वजह से उनके चेहरों की बनावट बिगड़ जाती है। ऐसे में नवजात के जन्म के कुछ समय उपरांत प्लास्टिक सर्जरी करके बच्चे के चेहरे को कुछ हद तक सामान्य रूप में लाने का प्रयास किया जाता है। मगर इस सर्जरी में काफी खर्च होता है। सेना की ‘रोमियो फोर्स’ ऐसे बच्चों का इलाज करवाकर उनके चेहरों पर मुस्कान लौटाने में जुटी हुई है।
चूंकि घाटी के दुर्गम इलाकों में अभी इस तरह की सर्जरी व इलाज संभव नहीं है और बहुत से स्थानीय लोग तो ऐसे हैं, जो इस इलाज का खर्च तक नहीं उठा सकते। ऐसे में सेना की ये फोर्स निःशुल्क ही बच्चों का इलाज करवाती है और इलाज का खर्च सेना उठाती है। ऐसे बच्चों के इलाज के लिए यदि इस विशेष विंग के जवानों को दूसरे राज्यों में भी जाना पड़े, तो वे जाते हैं। प्लास्टिक सर्जरी के दौरान बच्चे की पूरी देखरेख भी खुद करते हैं।