15 साल इंग्लैंड में रहा, परिवार के भरण-पोषण के लिए खूब पैसा कमाया। लेकिन लौटकर आया ताबूत में और पैसा एक भी न बचा। शव देखकर पत्नी और बेटा बेसुध हो गए।
मामला पंजाब के मोहाली का है। बलकार सिंह का जब आखिरी वक्त आया तो अपने वतन की मिट्टी को तरस गया। दिन-रात की मेहनत से जो कमाया था, वो परिवार के भरण पोषण में चला गया। परिवार के पास अब इतना पैसा भी नहीं था कि विदेशी धरती से उसका शव लाकर अपनी जमीं पर पंचतत्व में विलीन कर सकें। मोहाली के बलकार सिंह की लंबी बीमारी के बाद इंग्लैंड में मौत हो गई।
बलकार सिंह 15 साल पहले अपने परिवार के बेहतर भविष्य के लिए इंग्लैंड गया था। खूब मेहनत की, परिवार की जरूरतों को पूरा किया, लेकिन जब बीमार हुआ तो विदेश की धरती पर कोई नहीं था, जो उसका ख्याल रखता। आखिरकार इंग्लैंड के अस्पताल में उसकी मौत हो गई। शव को लावारिस करार देकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता, लेकिन परिवार की पीड़ा को समझ एक एनजीओ सामने आई और बलकार अपनी मातृभूमि पर पंचतत्व में विलीन हुआ।
जब इंग्लैंड में बलकार की मौत का पता चला तो उसकी पत्नी कुलविंदर कौर व बेटे दलजीत सिंह ने उसकी पार्थिव देह को लाने के प्रयास किए। पता चला कि शव को इंग्लैंड से भारत लाने के लिए 12 से 15 लाख का खर्च आएगा। परिवार के पास इतना पैसा नहीं था। मायूसी की हालत में परिवार ने हेल्पिंग हेल्पलेस संस्था से मदद मांगी। संस्था की अध्यक्ष अमनजोत कौर रामूवालिया ने परिवार को मदद का भरोसा दिया और इंग्लैंड में अपनी संस्था की टीम से बातचीत की।
हरप्रीत सिंह संधू व रविंदर कौर संधू के प्रयासों से संगत ने मिलकर जरूरी राशि का इंतजाम किया और बलकार सिंह के शव को भारत लाने के प्रयास शुरू किए। संस्था द्वारा किए गए प्रयासों से दलजीत के पिता बलकार सिंह का पार्थिव शरीर इंग्लैंड से मोहाली लाया गया। शनिवार दोपहर एक बजे मोहाली के श्मशान घाट में उसका अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर परिवार के सदस्यों ने बीबी अमनजोत कौर रामूवालिया का दुख की घड़ी में हाथ बंटाने के लिए आभार जताया।