सुई की छेद से क्या कोई पतंग निकाल सकता है। शायद आपका उत्तर न में होगा। लेकिन यह एक भारतीय ने संभव कर दिखाया है। इतना ही नहीं उसने सुई की छेद से सात पतंग निकल कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है। ये खबर पढ़ के शायद आप भी हैरान होंगे। लेकिन यह सच है। आइए पढ़ते हैं इस रोचक पतंगबाज की कहानी।
ये शख्स हैं पजांब के मोहाली के रहने वाले पंजाब स्टेट फोरेंसिक लैब के असिस्टेंट डायरेक्टर दविंदर पाल सगहल। दविंदर पाल पतंगबाजी और काइट मेंकिंग में कई अवार्ड अपने नाम कर चुके हैं। वे काइट मेकिंग से इंटरनेशनल स्तर पर चंडीगढ़ व पंजाब को नई पहचान दिलाने में प्रयासरत हैं। डॉ. दविंदर पाल सगहल ने बताया कि पतंगों से प्यार और दोस्ती का सफर बचपन से ही शुरू हो गया था। बचपन से ही पतंग उड़ाते थे।
कई बार गिरे भी लेकिन उन्होंने इसे नहीं छोड़ा। जब 1978 में पंजाब यूनिवर्सिटी पढ़ाई करने पहुंचे तो बसंत के दिन होने वाली पतंगबाजी प्रतियोगिता में उन्होंने हिस्सा लिया। इस दौरान वह पतंग उड़ाने में सबसे आगे थे। लेकिन तत्कालीन काउंसिल प्रेसिडेंट के करीबी को विजेता का अवार्ड दे दिया गया। इसके बाद उन्होंने हर साल पतंग मेकिंग कंपीटीशन में हिस्सा लेने का फैसला लिया।
डॉ. दविंदर पाल सहगल अपनी पतंगों से विश्व शांति व भाइचारे का संदेश दे रहे हैं। वह बटरफ्लाई की तरह दिखने वाली पतंग बनाकर उड़ाते थे, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। इसके बाद उन्होंने इसी जूनून को आगे बढ़ाने की सोची। साथ ही कुछ करने की ठानी। फिर उन्होंने सुई की छेद से सबसे छोटी सात पतंगों को निकालकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉडर्स में अपना नाम दर्ज करवाया। 2002 में यूरोप की स्लोविक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज हो गया था। वहीं, 2003 में पंजाब सकार ने उन्हें स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया।
वह पंतगों के माध्यम से मोहाली का नाम रोशन करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि पतंगों के माध्यम से जो बात हम कह सकते हैं, उसे और किसी भी तरीके से नहीं कहा जा सकता है। दविदंर पाल सहगल प्रत्येक राष्ट्रीय दिवस और त्योहार में अपनी पतंगों के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हैं। इनकी पतंगों के चर्चे पूरे पंजाब में हैं।