जरा सोचिए अगर भारत में आपको कोई इंटरनेशनल क्रिकेटर अपना पेट पालने के लिए टैक्सी चलाते दिखे तो क्या आप अपनी आंखों पर यकीन कर पाएंगे। अगर यकीन कर भी ले तो तरस भी खाएंगे क्योंकि उसकी उनकी करीब 70 साल है। मीडिया में ऐसी खबरें भी छपेंगी कि देखिए देश का महान खिलाड़ी अब टैक्सी चला कर जीवन बीता रहा है, लेकिन न्यूजीलैंड में ऐसा नहीं है। वेलिंगटन टेस्ट के दौरान हमारी मुलाकात एक ऐसे ही दिग्गज खिलाड़ी से हुई जिसके नाम पर बेसिन रिजर्व का पवेलियन रखा गया है। टेस्ट मैच के पहले दिन ये खिलाड़ी आता है, अपने नाम के पवेलियन का उदघाटन करता है और फिर दो घंटे बाद टैक्सी चलाने के लिए मैदान से बाहर चला जाता है।
हम बात कर रहें हैं न्यूजीलैंड के पूर्व तेज गेंदबाज एवेन चैटफील्ड की। 'आपको हमेशा अपना खर्चा तो चलाना ही पड़ता है ना। मैं उम्र के उस दौर से गुजर रहा हूं जहां आपको नौकरी नहीं मिलेगी, लेकिन टैक्सी चलाने का फायदा ये है कि मैं या तो पूरे दिन चला सकता हूं या जब मर्जी हुई तब चला सकता हूं। जब मर्जी है, क्रिकेट देख सकता हूं, ये मेरे लिए काफी सहूलियत वाला काम है'। ये कहना है वेलिंग्टन के टैटफील्ड का जिन्होंने 1970 और 80 के दशक में 43 टेस्ट खेले। कपिल देव इनके अच्छे दोस्त रहें हैं।
मैं भारत के ऐसे कई पूर्व खिलाड़ियों को जानता हूं जो मौजूदा दौर के खिलाड़ियों की कमाई से चिढ़ते हैं। अक्सर शिकायत करते हैं कि उन्हें योग्यता के हिसाब से पैसे नहीं मिले लेकिन, चैटफील्ड ऐसा नहीं सोचते हैं। वो कहतें हैं कि उनके लिए उस दौरे में न्यूजीलैंड के लिए खेलना ही सबसे बड़ी कमाई थी। आपको बता दें कि इस गेंदबाज ने 114 वन-डे में 140 विकेट हासिल किए हैं और उनका इकॉनोमी रेट (3.57) खेल के इतिहास में सबसे कामयाब गेंदबाजों में से एक है।
चैटफील्ड को अक्सर क्रिकेट जगत सर रिचर्ड हेडली के शानदार जोड़ीदार के तौर पर याद करता है। ठीक वैसे ही जैसे आज जसप्रीत बुमराह और ईशांत शर्मा की जोड़ी है। करीब 45 साल पहले अपने पहले टेस्ट में चैटफील्ड को बाउंसर ने इस तरीके से घायल किया था कि वो मरते-मरते बचे थे। वो तो भला हो इंग्लैंड के फिजियोथेरेपिस्ट का जिन्होंने उन्होंने बचाया। चैटफील्ड उस घटना को लेकर भावुक हो जातें है लेकिन, उनका कहना है कि हैलमेट और बाकि सुरक्षात्मक गियर्स के आने से क्रिकेट का खेल बेहतर हुआ है।
ये पूछे जाने पर कि क्या कभी ऐसा हुआ है जब उनके पहचान का शख्स उनकी टैक्सी में बैठा हो और चौंक गया हो। वो कहते हैं, कुछ मर्तबा लोग उन्हें सीधे नहीं पहचान पाते हैं, लेकिन कार में लगी उनकी आईडी कार्ड और नाम को गौर से देखतें है तो फिर उनसे चौंकते हुए परिचय करतें हैं। कुछ सेल्फी लेते हैं तो कुछ तस्वीरें खिंचातें हैं। हमने भी इनके साथ टैक्सी में यात्रा की और तस्वीरें लीं।
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