सीबीएसई बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा में आचार्यकुलम के मेधावी प्रतिभाओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय फलक पर पहचान बिखेरी है। आचार्यकुलम के संरक्षक स्वामी रामदेव ने कक्षा दस में बेहतर प्रदर्शन करने वाले सभी बच्चों को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में देश के टॉपर आचार्यकुलम से ही निकले।
परिणाम घोषित होते ही आचार्यकुलम के बच्चों ने स्कूल परिसर में एकत्र होकर खुशियां मनाई। बच्चों को आशीर्वाद देने के लिए सभी शिक्षक भी परिसर में एकत्रित हुए और योग गुरु स्वामी रामदेव भी बच्चों के बीच पहुंचे। आचार्यकुलम का कक्षा दस का यह दूसरा बैच था। इसमें राय बरेली यूपी के रहने वाले दिव्यांशु मोहन आर्य 99.4 प्रतिशत अंक लेकर टॉपर रहे। इसके अलावा वंशिका कुंडु 97.2 प्रतिशत अंक पाकर दूसरे स्थान पर रही।
चंदन कुमार, अनमोल, सुहिका जाखड़ और प्रज्ञा ने संयुक्त रूप से 96.4 प्रतिशत अंक पाए। प्रियांशी सिंह और अवनि 96.2, विलक्षण ने 96, ध्रुव यादव ने 95.4, भेसज ने 95.2, श्रवण कुमार, अंशुमन और प्रियंका चवन ने संयुक्त रूप से 95 प्रतिशत प्राप्त किए। सुभाष नामदेव ने 94.6, सान्या राय ने 94, खुशी ने 93.6, आदर्श राज ने 92.6, मंदीप ने 92.4, गोविंद पाटीदार और सिद्धार्थ पात्रा ने भी 91.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। इसी तरह विशाल 91, साक्षी, समीर ने 90.8, हर्ष, संजय और जतिन ने 90.4, मेधावत राठी ने 90.2, सिद्धार्थ शाह और अरुण भंडारी 89.8 अंक प्राप्त कर परिणाम में चमके।
सभी बच्चों को आशीर्वाद देते हुए योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि आचार्यकुलम केवल विद्या ही प्रदान नहीं कर रहा है, बल्कि यह देश का नेतृत्व करने वाली भावी पीढ़ी को तैयार कर रहा है। यहां योग, वेद और संस्कार युक्त शिक्षा प्रदान की जा रही है। वर्ष 2040-50 तक आचार्यकुलम विश्व नागरिक तथा देश को सभी क्षेत्रों में सशक्त नेतृत्व देने वाली पीढ़ी तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से देश में सीबीएसई से भी बेहतर शैक्षिक माहौल प्रदान करने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। इस दौरान आचार्यकुलम के निदेशक एलआर सैनी, प्रधानाचार्य वंदना मेहता और सुश्री ऋतंभरा समेत सभी शिक्षक भी मौजूद रहे।
आचार्यकुलम टॉप करने वाले दिव्यांशु मोहन आर्य का कहना है कि वह एक अच्छा नागरिक बनकर स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के मार्गदर्शन में देश की सेवा करना चाहते हैं। फिलहाल उनका लक्ष्य चिकित्सक बनकर इस सेवा कार्य को आगे बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि उनके माता पिता पहले से ही पतंजलि परिवार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय परिजनों और शिक्षकों के साथ ही सहकर्मियों को भी दिया।