पहाड़ों से चल रही ठंड़ी बर्फीली हवाओं से शनिवार को राजधानी दून और आसपास के इलाकों में पारा गिर गया। इसके कारण लोगों को भीषण ठंड़ और शीतलहर झेलनी पड़ी। दिन में धूप होने के बावजूद तापमान काफी कम रहा। वहीं, रात को पारा करीब 14 डिग्री गिर गया। राजधानी में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से दो से चार डिग्री तक कम बना हुआ है। शनिवार को सुबह सामान्य समय पर धूप निकल आई लेकिन इसमें चमक और गर्मी काफी कम थी। पूरे दिन इसी तरह हल्की धूप लगी रही। इसके कारण दिन के तापमान में भी कमी दर्ज की गई। लोगों को दिन में भी गर्म कपड़े, मफलर, दस्ताने पहनने पड़े। शाम के समय तेज-तेज ठंड़ी हवाएं चलने से ठंड़ और ज्यादा बढ़ गई। मौसम केंद्र ने रविवार को भी कई इलाकों में शीतलहर रहने और पाला गिरने का अनुमान जताया है। हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर के मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा रहने से शीतदिवस की स्थिति रह सकती है। शनिवार को दिन में अधिकतम तापमान 17.8 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। यह सामान्य से चार डिग्री कम तापमान रहा। वहीं, रात को न्यूनतम तापमान 3.8 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है। यह सामान्य से तीन डिग्री कम तापमान दर्ज किया गया।
तीर्थनगरी ऋषिकेश शीतलहर की चपेट में आ गई है। अब ठिठुरन भरी ठंड में अलाव ही लोगों का एकमात्र सहारा है, लेकिन नगर निकायों की ओर से आधी अधूरी तैयारियों से लोग परेशान हैं। नगर निगम ऋषिकेश के 40 वार्डों में से मात्र छह जगह ही अलाव जलाए जा रहे हैं।
नगर निगम ऋषिकेेश के 40 वार्डों में से अभी मात्र छह जगहों पर अलाव जलाए जा रहे हैं। अभी आईएसबीटी, इंद्रमणि बडोनी चौक, पुराना टिहरी बस अड्डा, चंद्रभागा पुल तिराहा, केवलानंद चौक, पुराना रेलवे स्टेशन में अलाव जलाया जा रहा है। नगर निगम की ओर से लकड़ी का वर्क आर्डर जारी करने की जगह हर रोज फुटकर में ही लकड़ी खरीदी जा रही है। इससे शहर की जनता को पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।
वहीं नगर पालिका मुनिकीरेती में छह जगह रामझूला पार्किंग, कुंभ मेला पार्किंग, शिवानंद, रामझूला, आस्था पथ पर अलाव जलाए जा रहे हैं। ईओ मुनिकीरेती बीपी भट्ट ने बताया कि एक स्थान पर एक दिन में 30 किलोग्राम लकड़ी डाली जा रही है। उन्होंने बताया कि भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं। यदि कहीं से मांग आती है तो वहां भी अलाव जलाया जाएगा।
समूचे कुमाऊं में शनिवार को शीतलहर का प्रकोप रहा। लोग आग सेंकते नजर आए। तराई-भाबर में कोहरे के साथ ही शीतलहर चलने से जनजीवन ठहर सा गया।