तीर्थनगरी में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने आए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर उनकी बहन शशि देवी भावुक हो गईं। भाई से मिलने के लिए शशि देवी नीलकंठ से सुबह नौ बजे लक्ष्मणझूला रोड स्थित शीलनाथ समाधि मंदिर पहुंच गई थींस लेकिन योगी आदित्यनाथ से उनकी मुलाकात दोपहर करीब ढाई बजे हो पाई। करीब सालभर बाद भाई से मिली शशि के आंखों में आंसू आ गए।
आश्रम के एक कमरे में हुई चंद मिनटों की मुलाकात के दौरान योगी आदित्यनाथ ने अपनी बहन, बहनोई, बड़े भाई मानवेंद्र बिष्ट और भांजे अनिल रावत से परिवार की कुशलक्षेम पूछी। उनके बहनोई पूरण सिंह पयाल ने बताया कि बमुश्किल पांच से सात मिनट की मुलाकात के दौरान उनकी इससे ज्यादा कोई बातचीत नहीं हुई। योगी ने उनसे पारिवारिक कुशलता की जानकारी ली। पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए बहन शशि पयाल ने बताया कि वह सालभर बाद अपने भाई योगी आदित्यनाथ से मिली हैं। इस दौरान उन्होंने बताया कि वह अपने भाई को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहती हैं।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि एक बार वह उत्तरकाशी से टिहरी आ रहे थे, वहां से उन्हें केदारनाथ की ओर जाना था। बकौल योगी, मैंने जंगल का रास्ता लिया तो रास्ते में एक स्थान मिला चौरंगीखाल। जहां मैंने एक मंदिर देखा। लोगों से पूछा यह कौन सा मंदिर है, तो वह बोले कि बाबा का मंदिर है। मैंने पूछा किस बाबा का मंदिर है, तो लोग बोले कोई नाथ बाबा का है। मैं मंदिर में पहुंचा तो मूर्ति देखकर पता चला यह तो चौरंगीनाथ बाबा का मंदिर है, जो नाथ संप्रदाय की परंपरा के सिद्ध योगी हैं और गुरु गोरखनाथ जी की शिष्य परंपरा से जुड़े हैं।
बकौल योगी, लोगों ने बताया कि हम लोग इस मंदिर में पूजा करते हैं। जो भी उनके खेतों में अनाज होता होता है, वही मंदिर में चढ़ाते हैं। इस क्षेत्र में बाबा की कृपा से दुख-बीमारियां नहीं होती हैं और जंगली जानवर न तो मनुष्य को और न ही उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। अर्थात कितना बड़ा विश्वास लोगों के मन में आज भी उस क्षेत्र में देखने को मिलता है। यह स्थिति पूरे उत्तराखंड के अंदर हर स्थान पर मिलती हैं, जहां चमत्कारिक सिद्धियां इन संतों, योगियों का आशीर्वाद क्षेत्र के लोगों को प्राप्त होता रहा है।
सीएम योगी ने कहा कि रविवार सुबह जब मैं लखनऊ से चला तो मुझे बताया गया कि देहरादून में मौसम खराब है। मौसम खराब होने का मतलब कि दून में जहाज नहीं उतरा तो आसपास जहाज नहीं उतर सकता। लिहाजा जहाज दिल्ली या मेरठ में उतर सकता है। मैंने कहा एक बार चलिए, देखते हैं। देहरादून आने पर 10 मिनट तक हमारा जहाज आसमान में घूमता रहा। कुछ बूंदे गिरने के बाद मौसम साफ होने पर जब हम उतरे तो यहां मौसम बड़ा सुहावना था।