मालवीय नगर में बाबा के ढाबे पर दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। आलम यह था कि सुबह 10 बजे ही सारा खाना बिक गया। इसके बाद पराठे और सब्जी खाने के लिए लोगों को दो-दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा।
ढाबा चलाने वाले कांता प्रसाद ने बताया कि गुरुवार को जुटी भीड़ से शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने का अनुमान लगा लिया था। उन्होंने सुबह छह बजे ही सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना ज्यादा खाना बनाया, लेकिन सुबह से जुटे ग्राहकों के आगे वह खाना कम पड़ गया।
मालवीय नगर के पंछी विहार से आई आशा और सोमा बताती हैं कि हम यहां पर 25 सालों से रह रहे हैं, कल फेसबुक पर वीडियो देखकर वहां पहुंची थीं। कांता प्रसाद ने बताया सुबह ढाबा खुलते ही लोगों की भीड़ जमा हो गई और खाना बनाते ही पूरा खाना बिक गया। सुबह से लगातार आर्डर पर आर्डर आते जा रहे थे।
हां, हम बाबा के ढाबे पर हैं
साथ सेल्फी लेने के लिए और सोशल मीडिया पर लाइव करने के लिए लोग बाबा को दिन भर घेरे रहे। इनमें से कई फेसबुक लाइव कर यही कहते नजर आए कि, ‘ हां, हम इस वक्त मालवीय नगर वाले बाबा के ढाबे पर हैं’। कोई बाबा चिल्लाकर उनके साथ सेल्फी लेता तो वहीं कोई दूसरी ओर से बाबा को पराठे बनाने का आर्डर देता नजर आया।
बता दें कि दिल्ली के मालवीय नगर में सड़क किनारे फुटपाथ पर अपना छोटा सा ढाबा चलाने वाले 80 वर्षीय बाबा कांता प्रसाद और उनकी पत्नी बादाम देवी रातों-रात मशहूर हो गए। दरअसल लॉकडाउन के बाद बुजुर्ग दंपती अपने इस ढाबे से गुजारे भर के पैसे भी नहीं निकाल पा रहे थे। एक फूड ब्लॉगर की 'बाबा का ढाबा' पर नजर पड़ी तो उसने बाबा के ढाबे की एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दी। वीडियो में बाबा रोते हुए दिख रहे हैं। ब्लॉगर ने लोगों से अपील की थी कि वह एक बार बाबा के ढाबे पर खाना खाने जरूर आएं। बस फिर क्या था बाबा रातों-रात मशहूर हो गए।