नौ अक्तूबर 2018 की सुबह बसपा के कद्दावर नेता व पूर्व सदर विधायक हाजी अलीम का शव ऊपरकोट स्थित उनके आवास पर बेडरूम में पड़ा मिला था। उनके सिर पर गोली का घाव था। अलीम की मौत के बाद से ही परिवार में फूट पड़नी शुरू हुई और अनस ने अपने चाचा यूनुस पर पिता की हत्या का आरोप लगाया, जबकि यूनुस ने अनस पर आरोप लगाए। पिता की हत्या के आरोप में अनस के जेल जाने के बाद से ही परिवार में अदावत की सुगबुगाहट शुरू हो गई। हाजी अलीम की मौत के मामले में नगर कोतवाली पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर जांचोपरांत मामले को आत्महत्या बताते हुए फाइल बंद कर दी थी। इसके बाद अलीम के पुत्र अनस ने आला अफसरों व शासन को पत्राचार कर मामले की सीबीसीआईडी जांच की मांग की। शासन के निर्देश पर सीबीसीआईडी मेरठ ने जांच पड़ताल शुरू की और 13 मार्च 2020 को अनस को ही अपने पिता अलीम की मौत का आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया।
साथ ही उसे जेल भेज दिया गया, जबकि अनस व उसके परिजन लगातार यूनुस पर हत्या का आरोप लगा रहे थे। उन्होंने सीबीसीआईडी जांच पर भी सवाल उठाए थे। रविवार को हुए हमले के बाद युनूस ने जेल में बंद अपने भतीजे अनस पर ही आरोप लगाया है।
युनूस का आरोप, अनस ने जेल से ही रची साजिश
वारदात के बाद जिला अस्पताल पहुंचे हाजी यूनुस ने बताया कि उन्हें पहले से ही अपने ऊपर हमले की आशंका थी। गत छह माह से लगातार वह एसएसपी व अन्य अफसरों से सुरक्षा की गुहार लगा रहे थे।
उन्होंने अफसरों को कई लोगों के नाम भी बताए। लेकिन न तो उन्हें सुरक्षा दी गई और न ही उन आरोपियों पर कोई कार्रवाई की गई। यूनुस ने आरोप लगाया कि अनस ने जेल में बंद होने के बावजूद इस वारदात की पटकथा को लिखा है।
आपको बता दें कि पूर्व ब्लॉक प्रमुख हाजी यूनुस के काफिले पर रविवार दोपहर तीन बजे ताबड़तोड़ 60 राउंड फायरिंग की गई। इसमें उनके एक समर्थक खालिद की मौत हो गई जबकि चार गंभीर रूप से घायल हैं। यूनुस गांव भाईपुरा से शादी समारोह से बुलंदशहर लौट रहे थे तभी रजवाहे की पुलिया के पास स्वचालित हथियारों से हमला कर दिया गया।