5 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा योजना के तहत आर्थिक पिछड़े परिवारों को सांकेतिक तौर पर ई-रिक्शा का वितरण किया था। उस समय सभी रिक्शे सेक्टर-62 के सभा स्थल पर लाए गए थे। 48 दिन बाद 280 रिक्शे अब तक यहीं हैं और कबाड़ बनते जा रहे हैं। किसी के पहिए गायब हैं तो किसी की सीट। भारतीय माइक्रो क्रेडिट (बीएमसी) के सहयोग से ई-रिक्शा देने की बात की गई थी।
सभास्थल पर रंग-बिरंगे नए-नए ई-रिक्शे एक लाइन में खड़े किए गए थे। महिला चालकों ने ई-रिक्शा चलाकर प्रधानमंत्री को दिखाया भी था। उस दिन प्रधानमंत्री ने मंच से गरीबों की तकदीर बदलने की बात की थी। गरीबों की तकदीर बदलने से पहले ई-रिक्शा की तस्वीर जरूर बदल गई है। जगह-जगह टूटे पड़े कई ई-रिक्शे पिछले 48 दिन की कहानी बयां करते नजर आए। कुछ रिक्शों के पहिये गायब थे तो किसी की छत उड़ी हुई थी।
सभी ई-रिक्शे धूल में सने नजर आए। कई रिक्शों में जंग लगनी भी शुरू हो गई है। वहीं अगर ज्यादा बारिश हुई तो इसके पूरी तरह से कबाड़ बनते देर नहीं लगेगी। पास में ही एक शख्स प्रमोद कुमार नजर आया। उसने बताया कि वह ई-रिक्शा की पहरेदारी करने के लिए यहां खड़ा है। उसे सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक पहरेदारी करने को आठ हजार रुपये पर रखा गया है।
रात में भी कोई पहरेदारी करता है। ई-रिक्शा को कोई वहां से उठाकर न ले जाए, इसलिए बैटरी पहले ही निकाल दी गई थी। हालांकि बैटरी निकालने के बाद बोनट को बंद करने की भी जद्दोजहद नहीं की गई। वहीं कुछ ई-रिक्शे के हैंडल भी जमीन पर टूटे पड़े थे।
परमिट के लिए भेजे गए 78 आवेदन : नोएडा परिवहन विभाग से फिलहाल 78 आवेदन परमिट के लिए आरटीओ गाजियाबाद भेजा गया है। इनके रजिस्ट्रेशन का काम पूरा हो चुका है। इनमें से 74 आवेदन बीएमसी के हैं।