अखाड़े से निकलकर फिल्मों का रुख करने वाले अभिनेता दारा सिंह आज भले ही हमारे बीच न रहे हों, लेकिन अपने किरदारों से वो हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा हैं। उनसे जुड़ी हुई तमाम ऐसी बातें हैं जिनकी छाप हमारे दिलों में आज भी छपी है। दारा सिंह ने एक लंबी बीमारी से जूझने के बाद 12 जुलाई 2012 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके जाने से प्रशंसकों का दिल पूरी तरह से टूट गया। दारा सिंह ने फिल्मी दुनिया में अपने करियर की शुरुआत दिलीप कुमार के साथ फिल्म 'संगदिल' से साल 1952 में की थी। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम अपने इस आर्टिकल में उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से आपको बताएंगे।
पंजाब के शेर थे दारा सिंह
दारा सिंह का जन्म अमृतसर में 19 नवंबर 1928 में हुआ था। उनका पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था। बचपन से ही दारा सिंह को कुश्ती लड़ने का बहुत शौक था। उनका कद-काठी भी बचपन से ही अच्छा था। अखाड़े में कुश्ती के दांव पेंच सीखने वाले दारा सिंह पहले मेलों और अन्य समारोहों में कुश्ती प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे। लेकिन साल 1947 में सिंगापुर में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को कुश्ती के अखाड़े में हराकर उन्होंने अपनी पहली जीत हासिल की। धीरे-धीरे उनकी पहलवानी को मान्यता मिली और वह भारत के एक कुशल पहलवान के रूप में सामने आए।
पंजाब के शेर थे दारा सिंह
दारा सिंह का जन्म अमृतसर में 19 नवंबर 1928 में हुआ था। उनका पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था। बचपन से ही दारा सिंह को कुश्ती लड़ने का बहुत शौक था। उनका कद-काठी भी बचपन से ही अच्छा था। अखाड़े में कुश्ती के दांव पेंच सीखने वाले दारा सिंह पहले मेलों और अन्य समारोहों में कुश्ती प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे। लेकिन साल 1947 में सिंगापुर में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को कुश्ती के अखाड़े में हराकर उन्होंने अपनी पहली जीत हासिल की। धीरे-धीरे उनकी पहलवानी को मान्यता मिली और वह भारत के एक कुशल पहलवान के रूप में सामने आए।