अनुराग कश्यप कहां हैं? हिंदी सिनेमा में इन दिनों हर दूसरा फिल्मकार, कलाकार या तकनीशियन सामने पड़ने वाले तीसरे शख्स से यही पूछ रहा है। अनुराग कश्यप के साथ काम करने वाले इस बारे में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। उनके साथ लंबा रिश्ता रखने वालों से बातें करने पर पता चलता है कि अनुराग की निजी जिंदगी ठीक नहीं चल रही है। कभी दिन रात सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले हिंदी सिनेमा के ‘क्रांतिकारी फिल्ममेकर’ अनुराग ने अपना आखिरी ट्वीट भी 11 नवंबर को किया था। इस बारे में जब ‘अमर उजाला’ ने खोजबीन शुरू की तो इसमें हिंदी सिनेमा के उस सबसे चर्चित ठिकाने में अनुराग को लेकर गंभीर चिंताएं सामने नजर आई, जिसे कभी सिनेमा की सिलिकॉन वैली कहा जाता था, यानी मुंबई फिल्म इंडस्ट्री का सबसे चर्चित इलाका, आराम नगर।
आराम नगर वन और आराम नगर 2, हिंदी फिल्म जगत में काम पाने की उम्मीद लेकर मुंबई आने वालों का इसे अहम पड़ाव कहा जाता है। ऐसा शायद ही कोई कलाकार आपको मुंबई शहर में मिलेगा जिसने हिंदी सिनेमा में काम करने का सपना देखा हो और वह आराम नगर न आया हो। करीब 300 एकड़ में फैले इस इलाके में कभी शरणार्थी शिविर हुआ करते थे, अब हर गली नुक्कड़ पर फिल्ममेकिंग की कोई न कोई दुकान है। इन अड्डों पर इन दिनों यही चर्चा है कि अनुराग कश्यप कहां हैं? संकरी गलियों और मकड़ी के जाल जैसे फैले रास्तों में बनी झुग्गियों और छोटे घरों में ‘संघर्षशील कलाकार’ यहां तबसे बसने शुरू हुए जब फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ बनाने के दौरान अनुराग ने अपना ठिकाना यहां बनाया।
लेकिन अनुराग के पुराने ठिकाने पर अब अजब सा सन्नाटा है। ये वही ठिकाना है जहां से कभी उनकी, विक्रमादित्य मोटवानी, विकास बहल और मधु मंटेना की कंपनी फैंटम के सारे फैसले हुआ करते थे। इसी ठिकाने पर मौजूद लोगों ने बताया कि अनुराग ने वर्सोवा वाला अपना घर भी छोड़कर अंधेरी पश्चिम में ओशिवारा में बनी एक भव्य इमारत के दो फ्लोर खरीदे हैं। अब उनका दफ्तर भी वहीं है और घर भी।
अनुराग के स्वास्थ्य को लेकर पहली बार इस साल लोग तब सतर्क हुए जब उन्होंने स्टेंट लगवाने की बात खुद सार्वजनिक की। लोगों को लगा कि थोड़ा आराम करने का बाद वह फिर से काम पर लौटेंगे। उनकी तापसी पन्नू के साथ शुरू हुई फिल्म ‘दो बारा’ की शूटिंग मार्च में ही पूरी हो चुकी है लेकिन इस फिल्म पर भी काम की क्या ताजा स्थिति है, किसी को नहीं पता।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में 10 सितंबर 1972 को जन्मे अनुराग कश्यप शुरू से बागी टाइप इंसान रहे हैं। रामगोपाल वर्मा की शागिर्दी में उन्होंने सिनेमा सीखा और बाद में एक कार्यक्रम में उन्हीं रामगोपाल वर्मा को भूतकाल में संबोधित किया। अनुराग कश्यप को पसंद करने वाला युवा दर्शकों का एक बहुत बड़ा वर्ग है। गोवा में शुरू हुए भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भी उनकी खोज करते तमाम युवा देखे गए। वहां पहुंचे एक पत्रकार ने फोन करके भी पूछा कि क्या अनुराग इस साल के गोवा फिल्म फेस्टिवल में शामिल होंगे? अनुराग कहां हैं, इसकी खोज इसी के बाद से शुरू हुई।
उनके करीबी बताते हैं कि अनुराग कश्यप के मुंबई से बाहर किसी अज्ञात स्थान पर दिन बिता रहे हैं। इस अज्ञातवास की वजह क्या है, ये इन लोगों को भी नहीं मालूम। अनुराग कश्यप ने गर्मियों में ही दिक्कत होने पर एक स्टेंट लगवाया था और तब वह कई दिनों तक सोशल मीडिया से दूर रहे थे और ठीक होने के बाद इसकी जानकारी भी उन्होंने खुद ही दी थी। उनके साथ काम करने वाले फिल्मकार सकुचाते हुए बताते हैं कि अनुराग की सेहत कई महीनों से ठीक नहीं है। लेकिन, खुद अनुराग या उनकी टीम की तरफ से कभी इस बारे में कुछ नहीं कहा गया।