सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बाद बॉलीवुड में बड़ी बहस छिड़ी हुई है। नेपोटिज्म जैसे मुद्दों पर खुलकर दो पक्ष सामने आ गए हैं। अभिनेत्री कंगना रनौत इस बहस की मुखर हैं जो खुलकर आरोप लगा रही हैं कि बॉलीवुड में एक गैंग है जिसके इशारे पर यहां सब कुछ चलता है। हाल ही में कंगना एक बार फिर करण जौहर पर बरसीं और साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि एक समय पर वो भी इतना परेशान हो गई थीं कि उनके मन में आत्महत्या के विचार आने लगे थे।

एक मीडिया चैनल से बातचीत में कंगना रनौत ने खुलासा किया कि एक वक्त पर उन्होंने भी आत्महत्या के बारे में सोचा था। साल 2016 की घटना को याद करते हुए कंगना ने कहा, 'मैंने अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म देने के बाद 19 ब्रांड्स के साथ करार किया था। तभी मेरे 2013 के एक्स व्बॉयफ्रेंड ने मेरे खिलाफ केस दर्ज करा दिया। इन ब्रांड्स की एक आदत है कि अगर किसी कलाकार के खिलाफ मामला दर्ज हो जाता हो ये उसके साथ अपना करार तोड़ लेते हैं और इन्होंने मेरे साथ ऐसा ही किया।'

कंगना ने कहा, 'सब कुछ यहां बहुत योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। मुझे इंसानों को खाने वाली और डायन तक कहा गया। करण जौहर लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स गए और वहां जाकर कहा कि कंगना को फिल्म इंडस्ट्री छोड़ देनी चाहिए। उसे तुरंत बाहर निकालना चाहिए, वहां हूटिंग हो रही थी। लोग तालियां बजा रहे थे जब मैं नेपोटिज्म के खिलाफ यहां लड़ाई लड़ रही थी। उन्होंने मेरे लिए सब कुछ रोक दिया। मैं शादी नहीं कर सकती थी, मेरा कोई वित्तीय भविष्य नहीं था। क्या आपको नहीं लगता कि आत्महत्या का विचार मेरे मन में आया होगा?'

कंगना ने आगे कहा, 'मेरे जैसा कोई जिसे तीन राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्मश्री केवल अभिनय के आधार पर मिला हो, वह कभी भी करण जौहर के अच्छे अभिनेताओं की सूची में नहीं होगा। 18 ब्रांड्स ने मुझे दो महीने में छोड़ दिया। मेरे पास क्या विकल्प थे? हो सकता है उस समय मेरे जेहन में खुद को मार डालने का विचार ना आया हो, पर बाल नोंच डालने और कहीं गायब हो जाने का ख्याल जरूर आया होगा। मेरे रिश्तेदारों ने अपने बच्चों को मुझसे मिलने नहीं दिया। उन्होंने सुशांत को दुष्कर्मी बता दिया था। वह बिहार वापस कैसे जाते? छोटे शहरों में पैसे का महत्व नहीं है, वहां इज्जत का सम्मान होता है।'

इसके अलावा कंगना ने आगे कहा कि मैं बता रही हूं कि अगर मैंने कुछ ऐसा कह दिया हो, जिसकी मैं गवाही नहीं दे सकती, जिसे मैं साबित नहीं कर सकती और जो जनता के हित में नहीं है तो मैं अपना पद्मश्री लौटा दूंगी। ऐसे में फिर मैं इस सम्मान के लायक नहीं हूं। मैं यह नहीं कह रही कि थी कोई भी चाहता था कि सुशांत मर जाए लेकिन कई चाहते थे कि वे निश्चित रूप से बर्बाद हो जाए। ये लोग भावनात्मक गिद्ध होते हैं। वे लोगों को मरता देखना चाहते हैं।
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