शेखर कपूर निर्देशित फिल्म बैंडिट क्वीन 1994 में कान फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित हुई थी। भारत में यह फिल्म 1996 में सिनेमाघरों तक पहुंचीं। फिल्म के 25 साल बाद फूलन देवी की कहानी अब वेब सीरीज के जरिए सामने होगी। निर्माता बॉबी बेदी डकैत से सांसद बनी फूलन देवी के जीवन और मृत्यु पर 20 एपिसोड की वेब सीरीज बनाने को तैयार हैं। 72वें कान फिल्म महोत्सव के दौरान बॉबी बेदी ने बताया कि कुछ ही महीनों में वेब सीरीज का निर्माण शुरू हो जाएगा। आगे की स्लाइड में देखिए फूलन देवी से जुड़ी कुछ खास बातें।
10 अगस्त 1963 को फूलन देवी का जन्म एक मल्लाह परिवार में हुआ। वो उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में पैदा हुईं। फूलन देवी का बचपन बेहद गरीबी में बीता था लेकिन वो बचपन से ही दबंग थीं। 10 साल की उम्र में जब उन्हें पता चला कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली है तो चचेरे भाई के सिर पर ईंट मार दी थी। फूलन के घरवाले उनकी इस हरकत से इतना नाराज हो गए थे कि महज 10 साल की उम्र में 35 साल बड़े आदमी से शादी कर दी थी। शादी के बाद उनके पति ने रेप किया, धीरे-धीरे फूलन की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें मायके आना पड़ गया।
फूलन देवी जब वापस अपने ससुराल गईं तो पता चला कि उनके पति ने दूसरे शादी कर ली है। जिसके बाद पति और उसकी दूसरी पत्नी ने फूलन देवी को घर में घुसने नहीं दिया। इस दौरान फूलन देवी की मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से हुई जो डाकुओंं के गैंग से थे। ये लोग उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर बुंदेलखंड में सक्रिय थे। बाद में फूलन देवी उन्हीं के गैंग में शामिल हो गईं और चंबल की मुख्य डाकुओं में से एक बनीं। इस गैंग में दो डाकुओं को फूलन देवी से प्यार हो गया, हालात ऐसे हो गए कि एक डाकू ने विक्रम मल्लाह नाम के दूसरे डाकू की हत्या कर दी।
इस घटना के कुछ समय बाद ही ठाकुरों के गैंग ने फूलन को किडनैप कर बहमई गांव ले गए और 3 हफ्ते तक गैंगरेप किया। यहां से किसी तरह बच निकलने के बाद फूलन डाकुओं के गैंग में शामिल हो गईं। 1981 में फूलन बहमई गांव गईं, जहां उनका रेप हुआ था। फूलन देवी ने रेप करने वाले दो लोगों को पहचान लिया। उसके बाद गांव के 22 ठाकुरों को गोली मार दी। फिल्म बैंडिट क्वीन में भी यह दिखाया गया है। इस घटना के बाद ही फूलन देवी की चर्चा चारों ओर होने लगी और उनका नाम बैंडिट क्वीन पड़ गया।
तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने फैसला किया कि फूलन देवी के सरेंडर करने पर उन्हें रियायत दी जा सकती है। इस वक्त तक फूलन की तबीयत अक्सर खराब रहने लगी थी और उनके गैंग के कई सदस्यों की मौत हो चुकी थी। 1983 में फूलन देवी सरेंडर करने पर राजी हुईं। 11 साल जेल में रहने के बाद 1993 में उन पर लगे सारे केस वापस ले लिए गए थे।