भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनका असली नाम शत्रुघन यादव है। हाल में ही बिहार और झारखंड के सिनेमाघरों में उनकी फिल्म 'चोरी चोरी चुपके चुपके' रिलीज हो गई है। फिल्म को बंपर ओपनिंग की है। इस फिल्म में खेसारीलाल यादव के साथ एक्ट्रेस सहर अफसा नजर आई हैं। लेकिन भोजपुरी सिनेमा का चमकता सितारा बनने से पहले खेसारी ने बेहद गरीबी का सामना भी किया है। उनके संघर्ष की कहानी लोगों के लिए प्रेरणादायक है। खेसारी ने लिट्टी-चोखा बेचने के साथ ही दूध बेचने तक का काम किया है। यहां तक की वह अपनी भैंसों का पेट भरने के लिए चोरी तक किया करते थे। अपने अभिनय के शुरुआती दौर में उन्होंने नाच और आर्केस्ट्रा में भी काम किया। खेसारी ने एक बार खुलासा भी किया था कि वह कभी भी अपने गरीबी के दिनों को नहीं भूलते वह उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
भैंस के लिए करते थे चोरी
खेसारी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि जब वह भैंस चराते और उनका दूध बेचते थे। अक्सर दूध में पानी मिला दिया करतें, ताकी 10-20 रुपये ज्यादा मिल सके। इतना ही नहीं वह दूसरों के खेत से सरसों और मकई चुराया करते थे। ताकि अपनी भैंसो का पेट भर सकें। उनका ज्यादा से ज्यादा समय अपनी भैंसो की देख रेख में जाता था। इतना ही नहीं उन्होंने घास काटने तक का काम किया है।
गरीबी के दिनों में हुई शादी
खेसारी लाल की शादी गरीबी के दिनों में ही गई थी। घर का खर्च चलाने के लिए खेसारी पत्नी के साथ दिल्ली आ गए थे। इस दौरान खेसारी ने लिट्टी-चोखे की दुकान खोली, जहां उनकी पत्नी उनकी हेल्प किया करती थीं। पत्नी लिट्टी में सत्तू भरती थी और वो उसे सेंकते थे। गरीबी का आलम ये था कि उनकी पत्नी चंदा ने एक ही साड़ी में कई महीने गुजार दिए थे।
सरकारी नौकरी छोड़ निकाली एलबम
खेसारी लंबे समय से सरकारी नौकरी की तैयारी में लगे थे। उनका चयन बीएसएफ में हो गया। लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लगा और वह काम छोड़कर दिल्ली वापस आ गए। यहां आकर उन्होंने अपनी भोजपुरी एलबम निकाली। खेसारी को उनकी पहली सफलता अपने भोजपुरी एल्बम 'माल भेटाई मेला' से मिली।
पहली फिल्म ने बनाया स्टार
साल 2012 में आयी खेसारी लाल यादव की पहली भोजपुरी फिल्म 'साजन चले ससुराल' ने उन्हें रातों रात स्टार बना दिया। इसके बाद खेसारी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए।