छह साल की उम्र में फिल्म ‘बाजीगर’ का गाना ‘ये काली काली आंखें.. ’तुतलाकर गाने वाले वरुण शर्मा ने शाहरुख खान को देखकर ही अभिनेता बनने का फैसला किया और फिर फिल्म ‘दिलवाले’ में उनके साथ काम भी किया। खुली आंखों से सपने देखने और फिर उन्हें सच कर दिखाने वाली पीढ़ी की नुमाइंदगी कर रहे अभिनेता वरुण शर्मा से अमर उजाला के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल की खास बातचीत।
सीधे शाहरुख पर ही आते हैं। फिल्म ‘रूही’ के ट्रेलर में आपने उनका कालजयी संवाद ‘पलट...’ बोला है। शाहरुख से जुड़ी आपकी पहली याद क्या है?
मैं शाहरुख साहब का बहुत बहुत बड़ा फैन रहा हूं। जो मैं हीरो बना हूं वह भी शाहरुख साब की वजह से ही बना हूं। बचपन मे मैं तोतला बोलता था। उनकी फिल्म ‘बाजीगर’ देखते देखते समय मैं सीट पर खड़े होकर गा रहा था, ‘ये ताली ताली आंथें ये दोले दोले दाल..’। गाना खत्म होते ही मैंने मम्मी को बोला कि मुझे बड़े होकर एक्टर बनना है। मम्मी ने सोचा बच्चा है। मैं छह साल का था तब। वह कहने लगीं, हां बेटे कोई बात नहीं अभी खाना खा लेते हैं। फिर हीरो भी बन लेना। लेकिन, मेरे भीतर ये जुनून कभी गया नहीं। स्कूल से कॉलेज और कॉलेज में थिएटर वगैरह करने के बाद में यहां मुंबई आ गया।
तो शाहरुख को देखकर जो लड़का एक्टर बना उसे शाहरुख के साथ काम करने का मौका भी मिला, उस पल का एहसास कैसा रहा होगा?
मुझसे सच पूछें तो मैं खुद को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझता हूं। बचपन में शाहरुख सर और काजोल मैम के गाने मुझे अच्छे लगते थे और दोनों के साथ काम करने का मौका मुझे फिल्म ‘दिलवाले’ में मिला। फिल्म ‘बाजीगर’ के निर्देशक अब्बास मस्तान जी के साथ भी मैंने फिल्म ‘किस किस को प्यार करूं’ की है। तो ‘बाजीगर’ के जिस गाने की मैं बात कर रहा था, उसके हीरो, हीरोइन और निर्देशक तीनों के साथ मुझे काम करने का मौका मिला। अभिनेता बनने आए किसी युवक को जीवन में इससे ज्यादा और क्या चाहिए।
जब पहली बार शाहरुख से आप मिले होंगे तो खुद पर काबू रख पाए थे क्या? उनका संवाद फिर से दोहराना कैसा अनुभव रहा?
फिल्म ‘दिलवाले’ से पहले हमारी मुलाकात एक विज्ञापन की शूटिंग के दौरान हो चुकी थी। शाहरुख सर ने ‘फुकरे’ देखी हुई थी और उनको वह फिल्म पसंद भी बहुत थी। वह दिल्ली से हैं और फिल्म का जो दिल्ली का माहौल और वहां का लहजा था, वह सब शाहरुख सर को बहुत पसंद आया। इसके बावजूद वह लम्हा मेरे जीवन का फैन ब्वॉय पल था। मैंने उनको ‘बाजीगर’ देखने का किस्सा भी सुनाया था। रही बात उनका संवाद ‘पलट’ फिर से रीक्रिएट करने की तो हम सब थोड़ा घबराए हुए भी थे और थोड़ा उत्साहित भी। बड़े परदे पर पहले ही सुपरहिट हो चुके किसी पल को फिर से परदे पर दोहराना आसान नहीं होता। लेकिन, ट्रेलर देखने के बाद जिस तरह लोगों ने इसे पसंद किया है तो हमें लगता है कि हमारी कोशिश कामयाब रही।
अभिनेता को हिंदी सिनेमा में बहुत जल्दी एक खांचे में फिट कर दिया जाता है, क्या आपको अपने नाम पर लगा कॉमेडियन का ठप्पा पसंद है?
हां, लोग अक्सर मुझे कहते हैं कि कॉमेडी में स्लॉट हो गए हो, थोड़ा कॉमेडी कम करो, कुछ और ट्राई करो। लेकिन, मुझे क्या लगता है कि आज के समय में किसी इंसान को हंसाना या उनके चेहरे पर मुस्कुराहट लाना बहुत बड़ा काम है। जिंदगी में बहुत कम लोग ऐसे हैं जो एक दूसरे को हंसाते हैं, एक दूसरे के चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हैं, नहीं तो ज्यादातर लोग तो टेंशन ही देते रहते हैं। अगर मैं किसी को हंसा सकूं तो ये मेरे लिए ईश्वरीय आशीर्वाद है। मैं कॉमेडी करना कभी छोड़ना नहीं चाहता क्योंकि जिस श्रेणी के सिनेमा ने मुझे पहचान दी, इतना प्यार दिया, उसे मैं छोड़ूं तो वह गलत हो जाएगा। हां, मैं और भी किरदार करते रहना चाहता हूं लेकिन कॉमेडी को मैं छोड़ना नहीं चाहता।
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