अमिताभ बच्चन के सपने बहुत बड़े बड़े रहे हैं। इनमें से तमाम वह पूरे भी कर चुके हैं। लेकिन, इंसान वही है जो सपनों के पीछे भागता रहे। एक टूटे तो दूसरा जोड़ता रहे। अमिताभ बच्चन भी कभी फिल्म जगत में यश चोपड़ा जैसा एक फिल्म साम्राज्य खड़ा करना चाहते थे। अपनी कंपनी बनाई। नाम भी यश चोपड़ा की कंपनी यशराज फिल्म्स की तरह ही रखा एबीसीएल यानी अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड। कंपनी की प्लानिंग के हिसाब से फिल्म ‘मेजर साब’ ही उनकी पांच साल के लंबे ब्रेक के बाद रिलीज होने वाली ‘कमबैक’ फिल्म होनी थी लेकिन उनसे रूठे चल रहे उनके सितारों ने तब उनकी वापसी कराई एक फ्लॉप फिल्म ‘मृत्युदाता’ से। इन दोनों फिल्मों निर्माता अमिताभ बच्चन ही थे।
फिल्म ‘मेजर साब’ की गिनती उन पहली फिल्मों में भी होती है जिनकी रिलीज से ठीक पहले विवाद उठ खड़े हुए। भारतीय सेना तब भी फिल्मों में अपनी प्रतिष्ठा को लेकर बहुत सजग रहती थी। इस फिल्म में सेना ने अमिताभ बच्चन के किरदार की वेशभूषा पर आपत्ति जता दी। सेना का कहना था कि अमिताभ बच्चन के किरदार को दाढ़ी में दिखाना उचित नहीं है। इसीलिए फिल्म के शुरूआत में इसका स्पष्टीकर भी परदे पर आता है। और तब जाकर किसी तरह फिल्म रिलीज को तैयार हुई।
बिग बी ने मांगी अखबार से मदद
दाढ़ी का मामला निपटा तो एक नया ‘खेल’ शुरू हो गया। फिल्म की स्क्रीनिंग में कुछ दर्शक एकदम से जत्था बनाकर फिल्म के बीच से निकल लेते। दूसरों को लगता कि फिल्म बोर कर रही है। ऐसा तब और होता जब किसी स्पेशल स्क्रीनिंग में फिल्म समीक्षक या पत्रकार भी मौजूद होते। अमिताभ को लगा कि ये किसी साजिश के तहत हो रहा है। उन दिनों ‘एशियन एज’ अखबार में काम करने वाले मोहम्मद वजीहुद्दीन अपने ब्लॉग में इस मामले का जिक्र करते हैं। ‘एशियन एज’ में तब अफसाना अहमद ही सिनेमा की समीक्षाएं और बड़े सितारों के इंटरव्यू करती थीं लेकिन अखबार के तब के संपादक एम जे अकबर ने बजाय अफसाना के वजीहुद्दीन की ड्यूटी अमिताभ का इंटरव्यू करने के लिए लगाई। इसी ब्लॉग में वजीहुद्दीन ने खुलासा किया कि अमिताभ अपनी फिल्म ‘मेजर साब’ के खिलाफ चल रहे कथित षडयंत्रों से नाखुश थे और इसी वजह से उनका ये इंटरव्यू होना था। इंटरव्यू हुआ और अगले दिन पहले पन्ने पर छपा भी। इससे फिल्म को कितना फायदा हुआ, इसका अंदाजा तो अमिताभ बच्चन या उनकी फिल्म कंपनी को ही होगा, लेकिन ये तय था कि अखबार में छपे के असर का उन्हें अंदाजा तब भी था और अब भी है। अब तो खैर वह ईमेल पर भेजे गए सवालों का अपनी आवाज में उत्तर रिकॉर्ड करके भेजते हैं लेकिन हाल फिलहाल तक वह अपने सारे इंटरव्यू खुद अपने स्टाफ को लगाकर उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग कराया करते थे।
ऐसे बनी बिग बी और टीनू की टीम
अमिताभ बच्चन फिल्म ‘मेजर साब’ के प्रोड्यूसर थे और इस बात का इल्म फिल्म में काम करने वाले कलाकारों और तकनीशियनों दोनों को था। फिल्म में उनकी पत्नी का किरदार करने वाली नफीसा अली ने पांच साल पहले अपनी एक ट्वीट में उन्हें महान निर्माता लिखा था। और, टीनू आनंद जिन्होंने इस फिल्म में पहली बार अपना असली नाम वेरिंदर राज आनंद इस्तेमाल किया था, उन्हें भी अच्छे से पता था कि फिल्म के निर्माता अमिताभ बच्चन हैं। इसके बावजूद टीनू आनंद ने फिल्म की शूटिंग के दौरान एक बार अमिताभ से ऊंची आवाज में बात की और नतीजा दुनिया के सामने हैं। टीनू ने ‘मेजर साब’ के बाद सिर्फ एक फिल्म बनाई वह भी अभिनेता सुनील शेट्टी के साथ। अमिताभ बच्चन और टीनू आनंद का पहले पहले नाता बना था फिल्म ‘कालिया’ से। टीनू इससे पहले शशि कपूर, ऋषि कपूर और नीतू सिंह को लेकर फिल्म ‘दुनिया मेरी जेब में’ निर्देशित कर चुके थे और अपनी अगली फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन के पीछे लगे हुए थे। अमिताभ बच्चन उन दिनों डॉन की शूटिंग कर रहे थे। टीनू खुद बताते हैं कि फिल्म ‘कालिया’ की पटकथा सुनाने के लिए उन्हें अमिताभ बच्चन का कोई साल भर पीछा करना पड़ा। फिर एक दिन ‘डॉन’ की शूटिंग के बीच उन्हें अमिताभ बच्चन का समय मिला।
इस वजह से बिगड़े टीनू आनंद के रिश्ते
फिल्म ‘मेजर साब’ के निर्देशक टीनू आनंद के पिता इंदर राज आनंद मशहूर लेखक रहे हैं और अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन के मित्र भी। ‘कालिया’ के सेट पर टीनू ने अमिताभ को अमित जी कहकर बुलाना शुरू किया तो खुद उन्होंने टीनू को बुलाकर इसके लिए क्लास लगाई और कहा कि घरेलू रिश्ते सेट पर आकर औपचारिकता में न बदलें तो ही बेहतर। इसके बाद से ही टीनू ने अमिताभ बच्चन को सार्वजनिक रूप से अमित कहना शुरू किया। लेकिन, इन्हीं टीनू ने फिल्म ‘मेजर साब’ की शूटिंग के दौरान एक सीन अमिताभ बच्चन के कहने पर दोबारा शूट नहीं किया और यही बात अमिताभ को अच्छी नहीं लगी। मौके पर मौजूद लोग बताते हैं कि अमिताभ के दबाव डालने पर टीनू झल्ला पड़े थे और ये बात अमिताभ कभी नहीं भूले। ये और बात है कि ‘मेजर साब’ निर्देशित करने के लिए टीनू आनंद को एक तरह से पुचकार कर तैयार किया गया था।
अजय देवगन ने संभाला निर्देशन
‘मेजर साब’ की शूटिंग जब राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड्गवासला, पुणे में चल रही थी तब अमिताभ की मेहुल कुमार निर्देशित फिल्म ‘मृत्युदाता’ सिनेमाघरों तक पहुंच चुकी थी। अमिताभ बच्चन की कंपनी एबीसीएल की तब निर्माणाधीन 10 फिल्मों में से एक ‘मेजर साब’ के निर्देशक टीनू आनंद शुरू से चाहते थे कि ‘मेजर साब’ ही अमिताभ बच्चन की कम बैक फिल्म हो। ‘मृत्युदाता’ के फ्लॉप होने का टीनू की मानसिक सेहत पर खासा असर हुआ जिसने उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डाला। फिल्म ‘मेजर साब’ की शूटिंग के समय टीनू आनंद एक दो बार तो ऐसे वक्त भी बीमार पड़े जब शूटिंग टाली नहीं जा सकती थी। लोग बताते हैं कि ऐसे मौकों पर अमिताभ बच्चन के कहने पर अजय देवगन ने उन दृश्यों की कमान संभाली। फिल्म ‘मेजर साब’ में अभिषेक बच्चन ने भी काम किया। लेकिन, उनका काम था कैमरे के पीछे रहकर प्रोडक्शन के काम में हाथ बंटाना। और, इस काम में भी वह एक बार लोचा कर बैठे थे।