बीते दिनों एक बुर्जुग की तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वह अपनी पत्नी को ठेले पर लादकर इलाज कराने के लिए अस्पताल-अस्पताल घूम रहे थे। आयुष्मान भारत योजना की लाभार्थी होने के बाद भी इनको किसी अस्पताल में इलाज नहीं मिला था।
मामला संज्ञान में आने के बाद हरकत में आई प्रशासन की टीम ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया था। मंगलवार को कूल्हे की हड्डी टूटने के कारण चलने-फिरने में असमर्थ बुजुर्ग कैलाशी देवी का शाही ग्लोबल हॉस्पिटल में सफल ऑपरेशन हुआ।
हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. एसएस शाही ने बताया कि अत्याधुनिक तकनीक से की गई सर्जरी के कारण कैलाशी देवी तीन दिन में चलने-फिरने लगेंगी। कैंपियरगंज के महावनखोर मलिन बस्ती की कैलाशी देवी (66) आयुष्मान भारत योजना की लाभार्थी हैं। बीते सप्ताह घर में गिरने के कारण उनके कूल्हे की हड्डी क्षतिग्रस्त हो गई थी।
जानकारी के अभाव में 108 नंबर पर कॉल कर एंबुलेंस बुलाने की बजाय परिजन बीते शुक्रवार को उन्हें ठेले पर लाद कर पीपीगंज पीएचसी ले गए थे। प्रभारी चिकित्सक के छुट्टी पर होने के कारण उन्हें बिना इलाज के लौटना पड़ा था। अमर उजाला ने यह खबर प्राथमिकता से प्रकाशित की थी। इस पर शाही ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. एसएस शाही ने कैलाशी देवी का इलाज करने की पेशकश की थी।
शनिवार को उन्हें शाही ग्लोबल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। हॉस्पिटल में ही कैलाशी देवी का गोल्डन कार्ड बनाया गया। सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनके कार्ड को अनुमति प्रदान कर दी गई। सोमवार शाम को ही शाही ग्लोबल हॉस्पिटल की आर्थोसर्जरी टीम ने कैलाशी देवी के क्षतिग्रस्त कूल्हे की सर्जरी की। डॉ. एसएस शाही के अनुसार कैलाशी देवी की सर्जरी आधुनिक तकनीक से की गई। सर्जरी के दौरान भी कैलाशी देवी होश में रहीं और बातचीत करती रहीं।