साल के पहले सूर्यग्रहण की शुरूआत गोरखपुर में 10 बजकर 32 मिनट और 54 सेकेंड पर हुई। ऐसे में शहरवासी टेलीस्कोप के माध्यम से सदी के सबसे बड़े सूर्य ग्रहण से रूबरू हुए। ग्रहण के दौरान सूर्य कुछ देर के लिए एक कंगन की तरह दिखाई दिए।
सदी के दुर्लभ और साल के पहले सूर्य ग्रहण ने रविवार को सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। देश के कई हिस्सों में रिंग ऑफ फायर का नजारा दिखाई दिया। इसके बाद ग्रहण का मोक्ष काल शुरू हो गया है। गोरखपुर में यह ग्रहण दोपहर 2 बजकर 4 मिनट पर समाप्त हो गया। देश के कई शहरों में इसका नजारा अलग-अलग दिखाई दिया।
क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि भारत से नजर आने वाला अगला सूर्यग्रहण 20 मार्च 2034 को पड़ेगा जो कि एक पूर्ण सूर्यग्रहण होगा और भारत इस दुर्लभ घटना का गवाह बनेगा। उसके बाद भारत से अगला सूर्यग्रहण 17 फरवरी 2064 को नजर आएगा और इस सदी का भारत से नजर आने वाला अंतिम सूर्यग्रहण 22 जून, 2085 को पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि बाकि दिनों में पृथ्वी की प्रक्रिया सामान्य होती है। धरती सूर्य का चक्कर लगाने के लिए अपने अक्ष पर भी घूमती है। वह अपने अक्ष पर 23.44 डिग्री झुकी हुई है। इसकी वजह से सूरज की रोशनी धरती पर हमेशा एक जैसी नहीं पड़ती और दिन-रात की अवधि में अंतर आता है। 21 जून को सूर्य उत्तरी गोलार्ध से चलकर कर्क रेखा में आ जाता है। इसी कारण सूर्य की किरणें ज्यादा समय तक धरती पर पड़ती हैं। दोपहर को सूर्य काफी ऊंचाई पर आ जाता है इसलिए 21 जून का दिन लंबा होता है।
15 से 16 घंटे रहती है सूर्य की रोशनी
21 जून को सूर्य की रोशनी करीब 15 से 16 घंटे धरती पर पड़ती हैं। इस दिन से उत्तरी गोलार्ध में रह रहे लोगों के लिए गर्मी की शुरुआत होती है, वहीं, दक्षिणी गोलार्ध के लोगों के लिए सर्दी की शुरुआत होगी।