गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को खूब वोट मिलते हैं। पिछले दो चुनावों के आंकड़ों पर निगाह डालें तो स्थिति साफ हो जाएगी। जितना वोट अकेले भाजपा को मिला था, उतना सपा, बसपा व कांग्रेस को मिलाकर भी नहीं मिल पाया था। यह वही सीट है, जहां से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है।
शहर विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। यह सीट पिछले 33 वर्षों से भाजपा के पास है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा व कांग्रेस का गठबंधन हुआ था। दोनों दलों ने मिलकर राहुल राणा सिंह को संयुक्त प्रत्याशी बनाया था। लगा था कि चुनाव रोचक और जोरदार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। नतीजे चौंकाने वाले आए। भाजपा प्रत्याशी को 1,22,221 वोट मिले, जबकि सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी को 61,491 वोट ही मिल सके। भाजपा के डॉ आरएमडी अग्रवाल को 60,730 वोटों के अंतर से जीत मिल गई। यही नहीं, 2012 के मुकाबले 2017 के विधानसभा चुनाव में ज्यादा बड़ी जीत मिली। जीत का अंतर भी बढ़ गया।
शहर विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। यह सीट पिछले 33 वर्षों से भाजपा के पास है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा व कांग्रेस का गठबंधन हुआ था। दोनों दलों ने मिलकर राहुल राणा सिंह को संयुक्त प्रत्याशी बनाया था। लगा था कि चुनाव रोचक और जोरदार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। नतीजे चौंकाने वाले आए। भाजपा प्रत्याशी को 1,22,221 वोट मिले, जबकि सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी को 61,491 वोट ही मिल सके। भाजपा के डॉ आरएमडी अग्रवाल को 60,730 वोटों के अंतर से जीत मिल गई। यही नहीं, 2012 के मुकाबले 2017 के विधानसभा चुनाव में ज्यादा बड़ी जीत मिली। जीत का अंतर भी बढ़ गया।