भारत-पाकिस्तान के 'अटारी-वाघा' बॉर्डर पर प्रतिदिन आयोजित होने वाले सीमा सुरक्षा बल के 'बीटिंग रिट्रीट समारोह' के कई अनछुए पहलू हैं। सूरज ढलने से पहले, दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज उतारे जाते हैं। इससे पहले, दोनों देश, अपनी-अपनी सीमा में 'बीटिंग रिट्रीट' समारोह आयोजित करते हैं। भारतीय सीमा में जेसीपी अटारी पर बना विशाल परिसर, रोजाना 25 हजार दर्शकों से खचाखच भरा रहता है। दर्शकों को 'आक्रामक' मूड में लाने के लिए जहां पाकिस्तानी की तरफ कई लोग ढोल बजाते हुए नजर आते हैं, तो वहीं 'बीएसएफ' का केवल एक ही जवान, वह काम कई गुना तेजी से कर देता है। पिछले नौ साल के दौरान वह जवान, अपनी विभिन्न भाव-भंगिमाओं से लाखों लोगों का जोश एवं उत्साह बढ़ाकर उन्हें आक्रामक मूड में ला चुका है। यहां तक कि पाकिस्तानी रेंजर्स भी उनके इस जोशीले अंदाज पर हतप्रभ रह जाते हैं।
जेसीपी अटारी पर रोजाना आयोजित होने वाले 'बीटिंग रिट्रीट' समारोह में लगभग 25 हजार दर्शक भाग लेते हैं। रोजाना नए लोगों के जोश एवं उत्साह को चरम तक ले जाना, अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। झारखंड के रहने वाले बीएसएफ के सिपाही अभिषेक दीक्षित, इस काम को सफलतापूर्वक अंजाम देते हैं। अटारी परिसर, जब दर्शकों से खचाखच भर जाता है, तो अभिषेक का काम शुरू हो जाता है। मिनी स्टेडियम के बीच में बनी सड़क, जो भारत-पाकिस्तान सीमा के मुख्य गेट तक पहुंचती है, अभिषेक उसी वहीं पर अपनी भाव-भंगिमाओं के जरिए लोगों को आक्रामक मूड में लाता है।
सीमा सुरक्षा बल के 58वें स्थापना दिवस पर आयोजित विशेष 'बीटिंग रिट्रीट' समारोह के दौरान अभिषेक दीक्षित ने बताया, मेरे लिए यह काम एक चुनौती की तरह होता है। चूंकि रोजाना, हजारों नए दर्शक वहां पहुंचते हैं, इसलिए उन्हें नए तौर तरीके से आक्रामक मूड में लाना होता है। शुरू में जब उन्हें इस कार्य की जिम्मेदारी मिली तो थोड़ी झिझक भी हुई। यह सोच रहा था कि मैं ये काम कैसे कर सकता हूं। अगर नहीं कर सका तो अधिकारी क्या सोचेंगे। आखिर मैंने तय किया कि मैं इस ड्यूटी पर भी खरा उतरूंगा। एक माह की ट्रेनिंग हुई। धीरे-धीरे मैं आगे बढ़ता रहा। उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। नौ साल के दौरान बीच में कुछ समय के लिए उनका तबादला हुआ था, लेकिन वे दोबारा से अटारी आ गए।
जब अभिषेक, लोगों को अपनी विभिन्न शारीरिक मुद्राओं से देखते हैं तो वे चिल्ला उठते हैं। वंदे मातरम का नारा, जय बीएसएफ, हिंदुस्तान जिंदाबाद या तिरंगे को लेकर जोश दिलाना, आदि के जरिए लोगों में राष्ट्रवाद का सागर उफान पर आ जाता है। अभिषेक, अपनी विभिन्न मुद्राओं से लोगों को भरोसा दिलाते हैं कि जब बीएसएफ है, तो पाकिस्तान को उसके किसी भी गलत इरादे में कामयाब नहीं होने देंगे। वे अपने हाथ से लोगों की तरफ जब काटने वाला इशारा करते हैं, तो स्टेडियम नारों से गूंज उठता है। जब वे अपने पांव की एड़ी उठाते हैं और उसके बाद उसे जमीन पर रगड़ने की मुद्रा में घुमाते हैं, तो दर्शक, आक्रामक मुद्रा में आ जाते हैं। कभी अपनी अंगुलियों से तो कभी हथेली के जरिए लोगों को जोश में ले आते हैं। कभी वे क्रिकेट खिलाड़ी की तरह सिक्सर मारने का एक्शन करते हैं तो कभी लोगों से संवाद की मुद्रा में आ जाते हैं।