राजस्थान में सियासी तूफान ने नई करवट ले ली है। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफ कर दिया कि अब वो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। 10 जनपथ से बाहर निकलने के बाद गहलोत काफी मायूस दिखे। उन्होंने राजस्थान में हुए घटनाक्रम पर करीब डेढ़ घंटे तक सोनिया गांधी के सामने सफाई पेश की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गहलोत हर मुद्दे को एक सादे कागज पर नोट करके कांग्रेस अध्यक्षा से मिलने पहुंचे थे।
मुलाकात के बाद बाहर निकलने पर गहलोत ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठकर मैंने बात की है। मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बना रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है।'
गहलोत ने आगे कहा, 'हमारे यहां हमेशा से परंपरा रही है कि हम आलाकमान के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास करते हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैं यह एक लाइन का प्रस्ताव पास नहीं करवा पाया, इस बात का दुख रहेगा। इस घटना ने देश के अंदर कई तरह के मैसेज दे दिए।'
ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अशोक गहलोत के पास आगे क्या विकल्प बचा है? राजस्थान के सियासत में आगे क्या होगा? आइए समझते हैं...