आज भारतीय नौसेना दिवस है। पूरा देश समुद्री सीमा की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अपने वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दे रहा है। इसी दिन साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को बर्बाद कर दिया था। जिससे लगी आग सात दिनों तक जलती रही थी। जानिए ऑपरेशन ट्राइडेंट को नौसेना ने कैसे दिया अंजाम और इंदिरा गांधी ने क्यों कहा था- वेल एडमिरल, इफ देअर इज अ वॉर, देअर इज अ वॉर:-
भारतीय नौसेना एक संतुलित त्रिआयामी शक्ति है, जो महासागरों की सतह पर, उसके ऊपर और उसके नीचे, हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में सक्षम है। भारतीय नौसेना भारतीय सशस्त्र बलों की समुद्री शाखा है और भारतीय नौसेना के कमांडर-इन-चीफ भारत के राष्ट्रपति हैं। 17वीं शताब्दी के मराठा सम्राट, छत्रपति शिवाजी भोसले को "भारतीय नौसेना का पिता" माना जाता है।
भारत पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई शुरू होने से दो महीने पहले अक्तूबर 1971 में तत्कालीन नौसेना अध्यक्ष एडमिरल एसएम नंदा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने गए। नौसेना की तैयारियों के बारे में बताने के बाद उन्होंने इंदिरा गांधी से पूछा अगर नौसेना कराची पर हमला करें, तो क्या इससे सरकार को राजनीतिक रूप से कोई आपत्ति हो सकती है।
इंदिरा गांधी ने हां या न कहने के बजाए सवाल पूछा कि आप ऐसा पूछ क्यों रहे हैं। नंदा ने जवाब दिया कि 1965 मे नौसेना से खास तौर से कहा गया था कि वह भारतीय समुद्री सीमा से बाहर कोई कार्रवाई न करें, जिससे उसके सामने कई परेशानियां उठ खड़ी हुई थीं।
इंदिरा गांधी ने कुछ देर सोचा और कहा कि वेल एडमिरल, इफ देयर इज अ वॉर, देअर इज अ वॉर। यानी अगर लड़ाई है तो लड़ाई है। एडमिरल नंदा ने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा कि मैडम मुझे मेरा जवाब मिल गया।