कोरोना की दूसरी लहर में जम्मू-कश्मीर की अर्थ व्यवस्था पर कम प्रभाव पड़ा है। पहली लहर में महामारी से निपटने के लिए सरकार के पास पर्याप्त उपकरण नहीं थे। हालांकि बीते साल के बजाय इस बार कोविड मृत्यु दर ज्यादा रही है। दूसरी लहर के आते ही सरकार ने सावधानी बरती और कोविड टीकाकरण की मुहिम शुरू की। पूर्ण लॉकडाउन तकरीबन डाई महीने लगा रहा। इसमें ज्यादा नुकसान अनधिकृत क्षेत्रों में कामकाज करने वालों और दिहाड़ीदारों को हुआ है। पर्यटन को छोड़ कृषि और औद्योगिक क्षेत्र आदि में काम कम प्रभावित हुआ। अधिकतर फैक्टरियों में काम जारी रहा। उधर, विद्यार्थियों को कोरोना की सबसे अधिक मार झेलनी पड़ रही है, लेकिन 4जी इंटरनेट सुविधा मिलने से इस बार ऑनलाइन पढ़ाई करने में आसानी रही। उधर, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि संभावित तीसरी लहर से निपटना आसान होगा, क्योंकि स्वास्थ्य ढांचे में विस्तार के साथ कोविड टीकाकरण को भी गति दी जा रही है।
टीकाकरण होने से पर्यटन जल्दी खुलने की संभावना
जम्मू विश्वविद्यालय के अर्थ शास्त्री प्रो. दिपांकर सेन गुप्ता ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर जल्दी आई है। सरकार भी पहले से सतर्क थी। लोगों की जान बचाने के लिए सरकार ने पहले ही लॉकडाउन लगा दिया। इसका कुछ असर व्यवसाय पर पड़ा है। हालांकि जीएसटी की स्थिति तकरीबन ठीक रही।
प्रो. गुप्ता ने बताया कि टीकाकरण सुविधा होने से प्रदेश का पर्यटन जल्दी खुलने की संभावना है। सरकार के निर्णय के अनुसार विदेशी पर्यटक भी जम्मू-कश्मीर आ सकेंगे। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
तीसरी लहर से निपटना आसान पर प्रोटोकॉल का पालन जरूरी
जम्मू विश्वविद्यालय के अर्थ शास्त्र विभाग के अध्यक्ष एवं डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. प्रकाश अंताल ने बताया कि हरेक सेक्टर में कोरोना का प्रभाव पड़ा है। ज्यादातर प्रभाव अनधिकृत और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को हुआ है। लॉकडाउन खुलते ही धीरे-धीरे सभी काम-धंधे शुरू हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि तीसरी लहर से निपटना आसान होगा, लेकिन इसके लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की जरूरत है। सभी लोगों को टीकाकरण (दोनों डोज) करवाना जरूरी है।
प्रदेश में पहली लहर में मौतें मार्च, 2020 से फरवरी, 2021 तक
- 1936 की मौत, जम्मू संभाग में 721 और कश्मीर में 1215
- दूसरी लहर में मौतें फरवरी से जून, 2021 तक
- 2380 की मौत, जम्मू संभाग मेें 2102 और कश्मीर संभाग में 2214
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