आंखों की समस्याओं को सिर्फ उम्र के साथ होने वाली दिक्कत मानने की गलती न करें, हाल के वर्षों में कम उम्र के लोग भी इससे संबंधित कई प्रकार के विकारों के शिकार हो रहे हैं। मायोपिया, आंखों की ऐसी ही एक समस्या है जिसके शिकार बच्चे-युवा भी तेजी से होते जा रहे हैं। लाइफस्टाइल में गड़बड़ी, विशेषतौर पर कंप्यूटर और मोबाइल के स्क्रीन पर लंबे समय तक देखते रहने की आदत इस समस्या के जोखिम को बढ़ाती जा रही है।
मायोपिया आमतौर पर बचपन और किशोरावस्था के दौरान विकसित हो सकती है, 20 और 40 की उम्र के बीच वाले लोगों में इसका जोखिम अधिक देखा गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) एक सामान्य दृष्टि से संबंधित विकार है जिसमें निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं। प्रकाश किरणों के गलत तरीके से अपवर्तित होने का कारण इस विकार को जोखिम होता है। दृष्टि सही होने के लिए प्रकाश की किरणों को आंखों के पीछे तंत्रिका ऊतकों (रेटिना) पर केंद्रित होनी चाहिए, हालांकि इस स्थिति में यह रेटिना के सामने केंद्रित होने लगती है। डॉक्टर कहते हैं, आनुवांशिकी के अलावा आंखों की इस तरह की दिक्कतों के लिए लाइफस्टाइल को प्रमुख कारक माना जाता है, सभी लोगों को इससे बचाव करते रहना चाहिए।
मायोपिया आमतौर पर बचपन और किशोरावस्था के दौरान विकसित हो सकती है, 20 और 40 की उम्र के बीच वाले लोगों में इसका जोखिम अधिक देखा गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) एक सामान्य दृष्टि से संबंधित विकार है जिसमें निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं। प्रकाश किरणों के गलत तरीके से अपवर्तित होने का कारण इस विकार को जोखिम होता है। दृष्टि सही होने के लिए प्रकाश की किरणों को आंखों के पीछे तंत्रिका ऊतकों (रेटिना) पर केंद्रित होनी चाहिए, हालांकि इस स्थिति में यह रेटिना के सामने केंद्रित होने लगती है। डॉक्टर कहते हैं, आनुवांशिकी के अलावा आंखों की इस तरह की दिक्कतों के लिए लाइफस्टाइल को प्रमुख कारक माना जाता है, सभी लोगों को इससे बचाव करते रहना चाहिए।