पिछले एक हफ्ते राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण ने लोगों की समस्याओं को काफी हद तक बढ़ा दिया है। वहीं दूसरी तरह कोरोना संक्रमण के मामलों में भी पिछले एक महीने से उतार-चढ़ाव जारी है। इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण कोरोना के खतरे को लेकर लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। हाल ही में स्पेन में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण कोरोना संक्रमण के बढ़ने के साथ पहले से संक्रमित लोगों में इसके गंभीर रूप लेने का जोखिम बढ़ गया है।
जर्नल इनवायरमेंटल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने संक्रामक रोगों पर पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव के बारे में बताया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के इस दौर में वायु-प्रदूषण का बढ़ना गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। वहीं यदि समय रहते वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय कर लिए जाएं तो कोरोना के साथ-साथ अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
एयरबोर्न संक्रमण का बढ़ गया है जोखिम
शोधकर्ताओं के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण कोरोना वायरस के एयरबोर्न संक्रमण का जोखिम बढ़ गया है। एयरबोर्न संक्रमण किसी भी स्थान पर अधिक से अधिक लोगों को वायरस की चपेट में ला सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले अध्ययनों में देखा गया था कि जिन स्थानों पर वायु प्रदूषण का ज्यादा जोखिम था, वहां पर कोविड-19 के मामलों और मौतों की अधिक घटनाएं सामने आईं थीं। वायु प्रदूषण, कोरोना वायरस को लंबे समय तक हवा में मौजूद रहने का माध्यम दे सकता है।
अध्ययन में क्या पता चला?
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए वयस्कों के एक समूह में वायरस के खिलाफ विशिष्ट एंटीबॉडीज की श्रृंखला को मापा। इसके तमाम पहलुओं के अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना के ज्यादातर संक्रमितों का नाइट्रोजन डिऑक्साइड (एनओ2), और पीएम 2.5 से संपर्क अन्य लोगों की तुलना में अधिक था। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन स्थानों पर प्रदूषण अधिक है, वहां कोरोना के गंभीर मामलों के बढ़ने और मृत्यु का जोखिम भी बढ़ सकता है।
वायु प्रदूषण कई मामलों में हो सकता है खतरनाक
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण बढ़ना न सिर्फ कोरोना बल्कि हृदय, श्वसन या अन्य क्रोनिक स्थितियों को भी बढ़ावा दे सकता है। वायु प्रदूषण के खतरों की बात करते समय अक्सर हम आउटडोर प्रदूषण पर जोर देते हैं, लेकिन हमेशा इस बात को ध्यान में रखें कि इनडोर प्रदूषण शरीर को अधिक गंभीर रूप से क्षति पहुंचा सकता है।
इनडोर प्रदूषण हो सकता अधिक खतरनाक
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर तथा संस्थापक डॉ शुचिन बजाज बताते हैं
खाना पकाने और तंबाकू के धुएं को मिलाकर अगर एक आंकड़ा लगाया जाए तो पता चलेगा कि इनडोर वायु प्रदूषण में इन दोनों प्रकार के धुएं का बहुत बड़ा हिस्सा होता है। इस तरह के प्रदूषण के गंभीर दीर्घकालिक नुकसान हो सकते हैं।
आकाश हेल्थकेयर, द्वारका में पल्मोनोलोजिस्ट डॉ अक्षय बुधराजा कहते हैं
इनडोर हवा का खराब होना हमारी सेहत को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है। कमरों में अच्छा वेंटिलेशन न होने से अंदर की हवा खराब होती रहती है। स्वास्थ के लिए इसे बेहद नुकसानदायक माना जाता है। घर में फर्नीचर पॉलिश न करें, जूतों को बाहर रखें, अपने घर और आस-पास को साफ रखें और बेड कवर, रजाई, पर्दों की नियमित अंतराल पर धुलाई करें। यह उपाय आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
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स्रोत और संदर्भ
Ambient Air Pollution in Relation to SARS-CoV-2 Infection, Antibody Response, and COVID-19 Disease: A Cohort Study in Catalonia, Spain
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