12 जनवरी को देश स्वामी विवेकानंद की 157वीं जयंती मना रहा है। स्वामी विवेकानंद एक ऐसे महापुरुष थे जिनके विचारों को युग-युगांतर तक हर भारतीय अपने आचरण में उतारने के लिए प्रेरित होते रहेगा। युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद ने दुनिया के सामने हिंदुत्व के विचारों को रखा और सनातन परंपरा को आगे बढ़ाया। स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुई विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया और भारतीय दर्शन और विचार को दुनिया के सामने रखा। स्वामी विवेकानंद के विचारों में ऐसी क्षमता है कि वो हर किसी व्यक्ति के जीवन को बदल सकते हैं...
स्वामी विवेकानंद ने अपने हर विचार को बुद्धि और तर्क के जरिए स्थापित किया। वो स्वामी रामकृष्ण परमहंस के परम शिष्य थे और बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। रामकृष्ण परमहंस ने उनके हर प्रश्न का समाधान कर उनकी बुद्धि को भक्ति में बदल दिया था। विवेकानंद ने एक बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस से सवाल किया- 'मैं समय नहीं निकाल पाता। जीवन आपाधापी से भर गया है।' इस पर रामकृष्ण परमहंस ने जवाब दिया- 'गतिविधियां तुम्हें घेरे रखती हैं, लेकिन उत्पादकता आजाद करती है।' स्वामी विवेकानंद के विचार हर किसी के जीवन को एक नई दिशा देने के लिए काफी हैं।
जो मदद करते हैं उनको कभी मत भूलो
स्वामी विवेकानंद का कहना था कि पढ़ने के लिए एकाग्रता जरूरी है और एकाग्र होने के लिए ध्यान जरूरी है। वो कहते थे कि ध्यान से ही हम अपनी इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं। विवेकानंद कहा करते थे कि जो लोग आपकी मदद करते हैं, उन्हें कभी मत भूलो। जो आपको प्यार करते हैं, उनसे कभी घृणा मत करो। जो लोग तुम पर भरोसा करते हैं, उन्हें कभी भी धोखा मत दो।
उठो जागो और लक्ष्य को प्राप्त करो
स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि दिन में कम से कम एक बार अपने आप से बात करिए। ऐसा न करके आप दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति से होने वाली मुलाकात को छोड़ रहे हो। वो कहते थे- अपने मस्तिष्क को ऊंचे विचारों और उच्चतम आदर्शों से भर दो। इसके बाद आप जो भी कार्य करेंगे, वह महान होगा। उनका कहा था कि जब तक तुम खुद पर भरोसा नहीं करोगे, तब तक तुम्हें ईश्वर पर भरोसा नहीं हो सकता। उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते।