आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों और कूटनीति कुशलता से ही चंद्रगुप्त मौर्य को एक शासक के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे चंद्र गुप्त के महामंत्री थे। उन्हें कौटिल्य और विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है। ये एक श्रेष्ठ विद्वान होने के साथ ही एक अच्छे शिक्षक भी थे। आचार्य चाणक्य ने कई शास्त्र लिखें, जिनमें से नीति शास्त्र की बातें आज भी बहुत लोकप्रिय हैं। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों का जिक्र किया है। नीति शास्त्र में एक सफल नेतृत्वकर्ता (लीडर) बनने के लिए व्यक्ति में कुछ गुणों का होना आवश्यक बताया गया है। जिस व्यक्ति में ये गुण होते हैं वह एक अच्छा और सफल नेतृत्वकर्ता सिद्ध होता है। आप भी जानिए कि कौन से हैं वे गुण।
निरंतर सीखते रहने का गुण
चाणक्य के मुताबिक एक अच्छा नेतृत्वकर्ता वही बनता है जो सीखने में कभी संकोच नहीं करता है। व्यक्ति को सदैव नई चीजों को सीखने का प्रयास करते रहना चाहिए। जीवन में आगे बढ़ने और सफल होने के लिए व्यक्ति का निरंतर सीखते रहना बहुत जरूरी होता है। चाणक्य के अनुसार यदि व्यक्ति को अपने शत्रु से भी सीखने का मौका मिले तो उसे छोड़ना नहीं चाहिए।
सबको साथ लेकर चलने वाला
आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति में सबको साथ लेकर चलने का गुण होता है, वह एक अच्छा नेतृत्वकर्ता साबित होता है। किसी भी कार्य को पूरा करने और सफल होने के लिए लोगों के सहयोग की आवश्यकता होती है, इसलिए व्यक्ति को अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलना चाहिए।
समय प्रबंधन का सही उपयोग
एक अच्छा और सफल नेतृत्वकर्ता बनने के लिए व्यक्ति में समय प्रबंधन को लेकर अच्छी समझ और जागरूकता होनी चाहिए। जो व्यक्ति अपने जीवन में समय के महत्व को समझता है और उसका सही प्रबंधन करता है, वह एक अच्छा नेतृत्वकर्ता बन सकता है। सफल होने के लिए व्यक्ति के जीवन में समय का विशेष महत्व होता है।