सनातन धर्म में एकादशी तिथि को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तरह से पूरे माह में दो और एक वर्ष में 24 एकादशी के व्रत किए जाते हैं। सभी एकादशी के व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित हैं लेकिन हर एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है। वैशाख माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार 7 मई 2021 को वरूथिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस व्रत को करने से कई वर्षों के तप और कन्या दान करने के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी दुख दूर हो जाते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि को बहुत ही पवित्र और पुण्यदायिनी माना जाता है। दरिद्रता, दुख और दुर्भाग्य दूर करने के लिए एकादशी तिथि पर आप कुछ उपायों को कर सकते हैं। जानते हैं उपाय।
दुर्भाग्य दूर करने के लिए
एकादशी तिथि पर सुबह स्नानादि करने के पश्चात पीले रंग के वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें और दक्षिणवर्ती शंख में जल भरकर उनका अभिषेक करें। मान्यता है कि इससे भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं और आपका दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है। शंख से जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि जो शंख बजाया जाता है, उससे जल न चढ़ाएं। अभिषेक करने के लिए अलग शंख का प्रयोग करें।
दुखों से छुटकारा पाने के लिए
भगवान विष्णु के तुलसी अतिप्रिये है इसलिए एकादशी के दिन विष्णु भगवान को तुलसी अवश्य अर्पित करें। पीपल की जड़ में जल अर्पित करें और चना, गुड़ मुनक्का का दान करें। हो सके तो किसी जरूरतमंद को भोजन अवश्य करवाएं। इसके बाद भगवान विष्णु से दुखों को दूर करने की प्रार्थना करें।
घर में बरकत के लिए
यदि बहुत प्रयास करने के बाद भी घर में बरकत नहीं हो रही है और धन की किल्लत बनी हुई है तो एकादशी तिथि पर पीली सरसों के दाने लेकर अपने घर को कोनों में बिखेर दें। इसके बाद द्वादशी तिथि यानि अगले दिन उन दानों को अग्नि में डाल दें। इससे आपके घर में फैली हुई नकारात्मक ऊर्जा और नजर दोष से मुक्ति मिलती है। आपके घर में धन की बरकत होने लगती है।
मानसिक शांति के लिए
यदि आपका मन किसी कार्य में नहीं लगता है और मन में हमेशा अशांति बनी रहती है तो एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद तुलसी की माला धारण करें। इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है लेकिन तुलसी की माला धारण करने के बाद कुछ बातों का ध्यान रखें। मांस मदिरा या किसी भी तरह से तामसिक चीजों का सेवन न करें।