नीतिशास्त्र की बातें भले ही लोगों को बहुत कठोर लगती हैं, लेकिन ये बातें लोगों को जीवन की सत्यता से अवगत करवाती हैं और मुश्किलों से लड़ते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। आचार्य चाणक्य ने द्वारा नीतिशास्त्र में जीवन के हर क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण बातों का जिक्र किया गया है। यदि इन बातों को ध्यान में रखा जाए तो व्यक्ति समस्याओं से तो बच ही सकता है साथ ही एक संतुष्ट और सफल जीवन भी व्यतीत कर सकता है। नीतिशास्त्र के अनुसार, युवावस्था मनुष्य के जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है। यदि इस समय लापरवाही बरती जाए और कुछ बातों का ध्यान न रखा जाए तो व्यक्ति प्रतिस्पर्धा में दूसरों से पीछे रह जाता है और अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है। नीतिशास्त्र में ऐसी ही कुछ बुरी आदतों का जिक्र किया गया है, जिनसे हमेशा दूर रहना चाहिए।
आलस्य का करें त्याग-
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आलस्य सफलता का सबसे बड़ा शत्रु है। खासतौर पर युवावस्था में आलस्य का बिल्कुल त्याग कर देना चाहिए। सफलता प्राप्त करने के लिए युवावस्था जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय पूरी ऊर्जा के साथ कार्य में लग जाना चाहिए। जो व्यक्ति आलस्य के कारण अपने काम को कर पर टालता रहता है, वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है और अन्य लोगों से पीछे रह जाता है।
गलत संगत से रहें दूर-
युवावस्था में व्यक्ति नए-नए लोगों से मिलता है, जीवन आशाओं और उमंगों से भरा होता है। इसलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि युवावस्था में व्यक्ति को अपनी संगत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि व्यक्ति युवावस्था में गलत लोगों की संगति में पड़ जाता है तो उसका जीवन बर्बाद होते देर नहीं लगती है। यदि जीवन में आगे बढ़ना है और सफल होना है तो हमेशा अच्छे और ज्ञानी लोगों की संगति करना चाहिए।
भूलकर भी न करें नशा-
नशा करना व्यक्ति की सबसे बुरी आदत में से एक है। नशा करने के मस्तिष्क कार्य करना बंद कर देता है। जिस व्यक्ति को नशे की लत लग जाती है, उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। युवावस्था में लोग नशे की चीजों की ओर बहुत जल्दी आकर्षित होते हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि सफल और सुखी जीवन व्यतीत करना है तो जीवन में हमेशा नशे से दूर रहना चाहिए।