महाभारत में विदुर जी ने युद्ध अवश्य नहीं लड़ा था लेकिन हस्तिनापुर में उनकी अहम भूमिका थी। ये धृतराष्ट्र और पांडु की तरह ही ऋषि वेदव्यास के पुत्र थे। इस नाते ये धृतराष्ट्र, पांडु के भाई और कौरवों, पांडवों के काका थे। लेकिन एक दासी के गर्भ से जन्म लेने के कारण ये राजा नहीं बन पाए। ये हस्तिनापुर के महामंत्री थे। विदुर जी अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के धनी होने के साथ बहुत दूरदर्शी भी थे। ये आने वाली परेशानियों को पहले से ही भाप लेते थे। महाभारत युद्ध के दुष्परिणामों के बारे में भी विदुर जी ने पहले ही बता दिया था। महाराज धृतराष्ट्र महत्वपूर्ण विषयों पर इनसे चर्चा अवश्य करते थे। विदुर जी की बताई गई बातें विदुर नीति के रूप में उल्लेखित हैं। विदुर नीति में कुछ ऐसे कार्य बताए गए हैंं, जिन्हें करने से जातक अपने जीवन में सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त कर सकता है। यदि जीवन में सफल और प्रसिद्ध होना चाहते हैं तो महात्मा विदुर द्वारा बताए गये इन कार्यों को आप भी जान लें।
विदुर नीति कहती है कि ऐसे जातक जो बहुत सरल होते हैं। अपने मन में किसी के प्रति ईर्ष्या-द्वेष नहीं रखते हैं। किसी की वस्तु को देखकर मन में लोभ नहीं रखते हैं। सदैव सही रास्ते पर चलते हैं, वे सदैव मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। जो अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखना भली-भांति जानते हैं यानी संयम रखते हैं। जो लोग किसी के द्वारा किए गए उपकार को कभी नहीं भूलते हैं। वे अपने जीवन में सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।
ज्ञान एक ऐसा धन है जो आपको हर परिस्थिति से निकलने का रास्ता दिखाता है। व्यक्ति अपने ज्ञान के बल पर जो चाहे वह हासिल करने में सक्षम होता है। ज्ञानी होने के साथ ही जो लोग निडर होते हैं, कहने का तात्पर्य है कि जो जोखिम लेने से नहीं डरते हैं और जीवन के हर उतार चढ़ाव का डटकर मुकाबला करते हैं, वे अपने जीवन में सफलता एवं प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।
महात्मा विदुर कहते हैं कि जो लोग अपनी बुद्धि का प्रयोग सही कार्यों में करना जानते हैं, सही और गलत में फर्क करना जानते हैं। अपनी बुद्धि का सदुपयोग करते हैं। हर परिस्थिति में सोच-समझकर कर निर्णय लेते हैं और अपने साथ दूसरों के हित को भी ध्यान में रखते हैं, वे अपने जीवन में सफल और प्रसिद्ध होते हैं।