सावन के आखिरी सोमवार पर बारिश नहीं हुई। उमस भरी गर्मी से लोग परेशान रहे। अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक 37.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम पारे ने भी उछाल मारा। यह 28 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उमस भरी गर्मी से सावन में भी लोगों को तेज धूप झुलसा रही है। कूलर भी ठंडी हवा नहीं दे पा रहे हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान केंद्र के मुताबिक अगले तीन दिन तक मौसम में कोई बदलाव के आसार नहीं हैं। तेज धूप के साथ ही पारे में इजाफा हो सकता है। उमस भरी गर्मी से लोगों को बुरा हाल है। उन्हें वायरल फीवर, जुकाम-खांसी और सिर में भारीपन हो रहा है। एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में सबसे ज्यादा इसी परेशानी के मरीज आ रहे हैं। त्वचा रोग विभाग में मच्छर-कीट पतंगों के काटने से दानों में खुजली की दिक्कत वाले सबसे ज्यादा मरीज हैं।
मेडिसिन विभाग के डॉ. टीपी सिंह ने बताया कि दिन में गर्मी, उमस और तड़के पारा कम होने से वायरल फीवर के मरीज अधिक आ रहे हैं। मरीज तेज बुखार, जुकाम-खांसी, सिर भारीपन होना, बेचैनी, सीने में जकड़न से सांस लेने में भी परेशानी बता रहे हैं। भूख कम लगना और कमजोरी भी हो रही है। मरीजों को सांस लेने में दिक्कत और नींद पूरी न होने से चिड़चिड़ेपन की भी दिक्कत है। यह वायरल फीवर सात से 10 दिन में ठीक हो पा रहा है। बाल रोग विभाग में भी बच्चों का यही हाल है। ओपीडी में आने वाले 60 फीसदी बच्चे वायरल फीवर की चपेट में हैं।
मच्छर-कीड़ों के काटने के भी मरीज
त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डॉ. यतेंद्र चाहर ने बताया कि स्किन एलर्जी के साथ मच्छर-कीड़ों के काटने से फुंसी होना और उसमें खुजली करने से जख्म भी हो रहे हैं। इसके मरीजों की संख्या लगभग 190 है। धूप में जाने पर पसीना आने और उस पर धूल-कार्बन तत्व चिपक जाते हैं, जिससे खुजली होने लगती है, जिससे त्वचा की एलर्जी हो रही है। इसमें त्वचा लाल होना, लाल दाने, फुंसी उभर आती हैं।
खांसी के साथ बलगम, खून भी
वक्ष एवं क्षय रोग के डॉ. जीवी सिंह ने बताया कि बदले मौसम से सांस रोगी और टीबी के मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है। ओपीडी में पुराने मरीजों की संख्या तीन गुना है। इसमें खांसी के साथ बलगम आ रहा है। टीबी मरीजों में बलगम में खून भी आ रहा है। ऐसे मरीजों में से दो से तीन मरीज भर्ती करने पड़ रहे हैं।
डॉक्टर बोले-सावधानी बरतें
- ठंडा पानी पीने से बचें, गुनगुना पानी पीएं।
- सीने में जकड़न होने पर भाप लें।
- दिन में एक बार काढ़ा ले सकते हैं।
- वायरल फीवर होने पर डॉक्टर से परामर्श से ही दवा लें।
- रात में फुल बाजू के कपड़े पहनकर सोएं।
- तेज धूप में फुल बाजू के कपड़े पहनकर जाएं।
- शरीर को साफ रखें, गीला न रखें।