माघ मकरगत रबि जब होई/तीरथपतिहिं आव सब कोई...। तुलसी की यह चौपाई में संगम की रेती पर लगने वाले माघ मेले की महिमा बताने के लिए काफी है। यानी माघ महीने में सूर्य जिस तिथि को मकर राशि में पहुंचते हैं, उस दिन तीर्थराज प्रयाग में संगम पर डुबकी लगाने के लिए आने से कोई भी नहीं बच पाता। सुरसरि की सुरम्य गोद में अक्षय वट से लेकर त्रिवेणी, काली और गंगोली शिवाला मार्ग तक संतों, भक्तों, कल्पवासियों के शिविर तन गए हैं।
इसी के साथ सूर्य के उत्तरायण होने से पहले मकर संक्रांति के प्रथम स्नान पर्व पर पुण्य की डुबकी लगाने के लिए बृहस्पतिवार को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। शुक्रवार को प्रथम पुण्य की डुबकी के साथ ही संगम पर मास पर्यंत चलने वाले जप-तप, ध्यान के मेले का आरंभ हो जाएगा। 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति होने से इस बार डुबकी दो दिन लगेगी।
मन, वचन और कर्म तीनों प्रकार से जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्त होने के लिए महीने भर ध्यान और स्नान का मेला मिलन की भूमि संगम पर आकार ले चुका है। अब हर किसी को इंतजार है सूर्य के उत्तरायण होने का। गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती के तट पर भगवान सूर्य के उत्तरायण होते ही प्रथम स्नान पर्व की डुबकी आरंभ हो जाएगी। हालांकि मकर संक्रांति के स्नान के लिए देश के कोने-कोने से संतों-भक्तों से पहुंचने का सिलसिला कड़ाके की ठंड के बीच शुरू हो चुका है।
इसी के साथ सूर्य के उत्तरायण होने से पहले मकर संक्रांति के प्रथम स्नान पर्व पर पुण्य की डुबकी लगाने के लिए बृहस्पतिवार को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। शुक्रवार को प्रथम पुण्य की डुबकी के साथ ही संगम पर मास पर्यंत चलने वाले जप-तप, ध्यान के मेले का आरंभ हो जाएगा। 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति होने से इस बार डुबकी दो दिन लगेगी।
मन, वचन और कर्म तीनों प्रकार से जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्त होने के लिए महीने भर ध्यान और स्नान का मेला मिलन की भूमि संगम पर आकार ले चुका है। अब हर किसी को इंतजार है सूर्य के उत्तरायण होने का। गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती के तट पर भगवान सूर्य के उत्तरायण होते ही प्रथम स्नान पर्व की डुबकी आरंभ हो जाएगी। हालांकि मकर संक्रांति के स्नान के लिए देश के कोने-कोने से संतों-भक्तों से पहुंचने का सिलसिला कड़ाके की ठंड के बीच शुरू हो चुका है।