कानपुर में घाटमपुर के एक गांव में मासूम बच्ची की बलि देने के मामले में पुलिस के खुलासे पर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं। इसमें एक सवाल बेहद अहम है। पुलिस जिस सब्जी काटने वाले चाकू से बच्ची का पेट फाड़ और पसलियां काटकर गुर्दे, दिल, आंत निकालने का दावा कर रही है उससे ये संभव नहीं है।
पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने भी इस पर सवाल किये हैं। हालांकि पुलिस के पास अन्य आलाकत्ल (हत्या में प्रयोग किया गया हथियार) नहीं है। वो अपने दावे पर अभी भी टिकी हुई है। दिवाली की रात गांव निवासी परशुराम व उनकी पत्नी सुनैना के कहने पर उनके भतीजे अंकुल और वीरेन ने गांव की ही एक छह साल की बच्ची को अगवा कर उसकी गला काटकर बलि दे दी थी।
उसके बाद शरीर के अंग निकाल लिए थे। दंपति ने संतान की प्राप्ति के लिए अंधविश्वास में ये सब किया था। कलेजा दंपति कच्चा खा गए थे। पुलिस ने इन चारों को जेल भेजा है। पुलिस का दावा है कि सब्जी काटने वाली चाकू पर धार की और उसी से वारदात को अंजाम दिया। मगर एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरह से पसलियां व गला काटा गया है, वो सब्जी काटने वाले चाकू से संभव नहीं है।
बहुत ही धारदार हथियार से हड्डियां काटी गई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी अन्य आलाकत्ल का इस्तेमाल आरोपियों ने किया था। जो अभी तक बरामद नहीं हुआ। एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि बरामद आलाकत्ल पर खून के धब्बे फोरेंसिक जांच में मिले हैं। उसमें पत्थर से घिसकर धार बनाई गई थी। इसलिए उससे आसानी से अंग कट गए।
एक साल से दंपति कर रहे थे इंतजार
पुलिस के मुताबिक शादी के दो दशक बीतने के बाद भी जब दंपति को कोई संतान नहीं हुई उन्होंने टोना-टोटका शुरू किया। इसमें काला जादू की किताब भी पढ़ी। जिसमें लिखा था कि अमावस की रात को बच्ची का कलेजा कच्चा खाया जाए तो उसको संतान हो जाएगी। ये ख्याल करीब एक साल पहले दंपति को आया था। तब से वो दिवाली की रात का इंतजार कर रहे थे। इन दोनों ने अपने भतीजों को कुछ रकम भी दी। नशेबाज अंकुल व वीरेन इस पर राजी हो गए और बच्ची पर बर्बरता कर डाली।