बिकरू कांड में गिरफ्तार की गई विकास दुबे के ममेरे भाई शशिकांत पांडे की पत्नी मनु के मोबाइल की कॉल रिकार्डिंग पुलिस के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। वारदात के समय घटनास्थल पर मनु की मौजूदगी, फोन पर बातचीत के दौरान विकास और उसके साथियों द्वारा पुलिसकर्मियों की हत्या की बात कहना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि मनु ने पूरी घटना देखी है और षड्यंत्र में वह शामिल है।
पहले दिए बयान में उसने पुलिस को गुमराह करने की भी कोशिश की लेकिन कॉल रिकॉर्डिंग ने राजफाश कर दिया। मनु ने पुलिस को घटना का पूरा सच बताने का आश्वासन दिया है। ऐसे में मनु का बयान, उसके वायरल ऑडियो अदालती कार्यवाही में कितने महत्वपूर्ण होंगे और साक्ष्य अधिनियम की कसौटी पर वह कितनी खरी उतरेगी, इस विषय पर विधि विशेषज्ञों ने राय दी।
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) फौजदारी राजेश्वर तिवारी ने बताया कि मनु के वायरल ऑडियो की विधि विज्ञान प्रयोगशाला से जांच कराई जाएगी। मनु की आवाज और ऑडियो के मिलान पर पुलिस ऑडियो को इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश करेगी। मनु के घर में सीओ समेत पुलिसकर्मियों के शव मिले हैं। साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत घर में शव कैसे आए, यह साबित करने का भार मनु पर ही होगा।
उसे घटना की पूरी जानकारी थी, इसके बावजूद उसने तथ्यों को छिपाया। इसलिए मनु हत्या के षड्यंत्र के साथ सबूत मिटाने की भी दोषी मानी जाएगी। घटना में मनु की गवाही को सबसे विश्वसनीय माना जाएगा। अगर पुलिस मनु को सरकारी गवाह बनाकर कोर्ट में पेश करती है तो उस पर लगे आरोपों को माफ करने के लिए अदालत से याचना कर सकती है। सरकारी गवाह के रूप में मनु की सजा माफ की जाए या कम की जाए इसका, अधिकार अदालत को होगा।
कानूनी भाषा में ऐसे गवाह को वायदा माफ गवाह कहा जाता है। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) फौजदारी सरला गुप्ता का कहना है कि मनु बिकरू कांड में महत्वपूर्ण साक्षी है। घटना के पहले मनु ने फोन करके पुलिस के आने की सूचना देकर ससुर को बुलाया और पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद लखनऊ में रहने वाले विकास के भाई दीपू की पत्नी अंजलि और अपने भाई से फोन पर बातचीत की।