देश की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद की हत्या के आरोपी मुनीर और रैय्यान को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तंजील के परिवार ने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया है। मुकदमे में गवाह और तंजील के चचेरे भाई हसीब शेख ने कहा है कि जालिम को फांसी की सजा अल्लाह की रजा है। इस निर्णय से तंजील व फरजाना की रूह को चैन मिला होगा, साथ ही उनके परिवार को न्याय मिला है।
हसीब शेख ने शनिवार को आए फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें भारत के संविधान पर पूरा यकीन था। आज वास्तव में पूर्ण न्याय मिला है। उन्होंने बताया कि रिश्तेदारों, मिलने वालों के लगातार फोन आ रहे हैं। सभी न्यायालय के निर्णय की तारीफ कर रहे हैं। सहसपुर के मोहल्ला मौलवियान के रहने वाले तंजील के बहनोई आदिल मोहम्मद और इकबाल अहमद ने निर्णय को पूर्ण इंसाफ बताते हुए कहा कि ऐसे जालिम के लिए सजा फांसी ही होती है। इस इंसाफ से मारने वाले के मासूम बच्चों को संतुष्टि होगी। तहेरे भाई अनीस अहमद ने कहा कि वास्तव में अपराधियों का कुकृत्य इतनी सजा का तो हकदार था। इस फैसले से समाज में न्यायलय के प्रति आस्था बढ़ी है। ऐसा फैसला जालिमों को उनका अंजाम बताता है।
हमें न्यायालय पर भरोसा था, फैसले से मुतमइन हैं: रागिब
तंजील अहमद के सगे भाई रागिब मसूद का कहना है उन्हें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा था। उस समय के चश्मदीदों जिनमें बच्चे, मैं खुद, मेरे चचेरे भाई हसीब शेख सहित जितने भी गवाह थे, उनकी गवाही इतनी ठोस थी कि हम इससे कम किसी सजा के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। हमें ऊपर वाले और न्यायालय से सही फैसले की उम्मीद थी। ठीक वैसा ही फैसला आया है। हमारा पूरा परिवार पूरी तरह मुतमइन (संतुष्ट) है। उन्होंने कहा कि मैं शासन, प्रशासन, सहयोगियों का शुक्रिया अदा करता हूं। इस फैसले से न्यायालय के प्रति विश्वास बढ़ा है।
ग्रामीणों के जेहन में आज भी ताजा है दोहरे हत्याकांड की यादें
तंजील अहमद बेहद मिलनसार और खुशमिजाज व्यक्ति थे। सहसपुर में दो अपैल 2016 को हुई उनकी हत्या से पहले बहुत कम लोगों को पता था कि वह देश की इतनी बड़ी सुरक्षा एजेंसी में अधिकारी थे। दोहरे हत्याकांड की यादें आज भी लोगों के जेहन में ताजा है।
तंजील अहमद जब भी सहसपुर आते थे, सभी से मिलते थे, लेकिन वह क्या जॉब करते हैं, इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताते थे। घटना वाले दिन भी रात्रि में लोग कयास लगा रहे थे कि तंजील अहमद और उनकी पत्नी की हत्या किसी ने लूटपाट के इरादे से की होगी। लेकिन जैसे-जैसे प्रदेश भर के उच्च पुलिस अधिकारियों की सक्रियता घटनास्थल और सहसपुर व स्योहारा में बढ़ी, मीडिया समाचारों से लोगों को उस वक्त मालूम हुआ कि तंजील देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारी थे। सहसपुर में उनदिनों चर्चा रही कि एनआईए का अधिकारी कितने साधारण ढंग से रहता था। पड़ोसियों तक को नहीं मालूम था कि तंजील अहमद देश की मुख्य सुरक्षा एजेंसी में अधिकारी थे।
मुनीर और रैय्यान के घर मातम, गांव में गश्त करती रही पुलिस
मुनीर और रैय्यान को फांसी की खबर से सहसपुर में सन्नाटा पसरा है। तंजील के परिवारवालों और रिश्तेदारों ने कोर्ट के फैसले पर संतोष व्यक्त किया है। हत्यारे मुनीर और रैय्यान के घर पर मातम पसरा है। दोनों परिवारों से जुड़े लोग कुछ भी प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं हैं। फैसला आने के चलते शनिवार सुबह ही गांव में पुलिस तैनात कर दी गई थी। दिन भर पुलिस गश्त करती रही।
घटना से पहले सहसपुर के नागरिकों को अंदाजा भी नहीं था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में रहे कर पढ़ाई करने वाला मुनीर इतना बड़ा अपराधी होगा। भोली सूरत और दुबली-पतली कद काठी के चलते लोग उसे मासूम समझते थे। मुनीर बातचीत में लोगों को जल्दी प्रभावित कर लेता था। उसके अपराध वाली छवि से शुरुआत में लोग अनजान ही थे। ग्रामीण बताते हैं कि शुरुआत में वह क्षेत्र में होने वाली आपसी लड़ाई-झगड़ों से सदैव दूरी बनाए रखता था। सहपाठियों को भी झगड़ों से दूर रहने की सलाह देता था। मुनीर की संलिप्तता तंजील हत्याकांड में जाहिर हुई तो लोग आश्चर्यचकित रह गए।
तंजील को मारी थीं 24 गोलियां
दो अप्रैल 2016 की रात्रि में तंजील और उनकी पत्नी की हत्या की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में हड़कंप मच गया था। हमलावरों ने एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील को 24 गोलियां मारी थीं। उनके शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर में गोली लगने और निकलने के 33 घाव थे।
हमलावर उनकी मौत से संतुष्ट होने के बाद ही भागे थे। शुरू में घटना को आतंकवाद से जोड़कर देखा गया था, बाद में लेन-देन विवाद का मामला निकला था। स्योहारा सहसपुर के बीच तीन स्थानों और सहसपुर में दो सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने के बाद हत्या में प्रयुक्त बाइक और हत्यारोपियों की पहचान हुई थी।