उत्तर प्रदेश में गोरक्षा एक अहम मुद्दा बना हुआ है। वहीं गोकशी को लेकर अब तक कई जानें भी जा चुकी हैं। लेकिन इन दिनों आलम ये है कि अब यही गोवंश पब्लिक की मुसीबत बन रहा है। जी हां, आवारा पशु इन दिनों पूरे प्रदेश की समस्या बन गए हैं। यदि यह कहा जाए कि सड़कों पर आवारा घूमने वाले ये मवेशी खासकर गोवंश न सिर्फ दुर्घटना का कारण बन रहे हैं बल्कि किसानों के भी दुश्मन बन गए हैं। खास तौर पर आवारा और भूखी गाएं खेतों का रुख कर रही हैं और फसलों को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा रही हैं। आइए एक नजर डालते हैं आखिर क्या है असल स्थिति:-
हाल ही के मुद्दों पर गौर करें तो यूपी के कई जिलों में आवारा पशुओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया और कई जगह इन पशुओं को सामुदायिक भवनों और स्कूलों तक में भी बांध दिया गया। इस दौरान जहां कई पशु भूख से तड़प कर मर गए, वहीं इन इमारतों में चल रही सेवाएं एक तरह से ठप्प हो गईं। मेरठ में भी लगातार किसान आवारा पशुओं के फसल नष्ट किए जाने को लेकर शिकायत कर रहे हैं। यहां तक कि कुछ संगठनों ने तो इस पर कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली है।
आवारा पशुओं को दफ्तरों में करेंगे बंद
पिछले सप्ताह मेरठ में सपा नेता अतुल प्रधान के नेतृत्व में पार्टी समर्थक आवारा गायों को लेकर कलेक्ट्रेट बांधने के लिए पहुंच गए थे। इससे पहले मुजफ्फरनगर जिले में भी कुछ महिलाओं ने आवारा गायों को डीएम ऑफिस परिसर में बांध दिया था। यही नहीं आवारा पशुओं से फसल के नुकसान के विरोध में रालोद कार्यकर्ताओं ने सोमवार को मंडलायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदेश संगठन प्रभारी डॉ. राजकुमार सांगवान प्रवक्ता सुनील रोहटा ने मंडलायुक्त को ज्ञापन सौंपकर आवारा पशुओं को पकड़ने और फसल नुकसान के लिए किसानों को मुआवजा दिलाने की मांग की गई है।10 जनवरी तक पशुओं को नहीं पकड़ने पर इन्हें सरकारी दफ्तरों में बंद करने की चेतावनी दी है।
यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि केंद्र व राज्य सरकारों व गोरक्षा समिति ने गोवंश की सुरक्षा की जो मुहिम छेड़ी हुई है उसके चलते यह कहा जा सकता है कि आवारा पशुओं की संख्या में कहीं न कहीं वृद्धि हुई है। वहीं ऐसी गायों की भी संख्या बढ़ रही है जो बीमार असहाय हैं या फिर दूध नहीं देतीं। ऐसे में गाय मालिकों को उनकी सेवा व इलाज कराने से बेहतर उन्हें खुला छोड़ देने का विकल्प बेहतर लगता है।
यूपी सरकार ने हाल ही में ग्रामसभा, क्षेत्र पंचायत व नगर पंचायत में गोशाला निर्माण का फैसला लिया ताकि आवारा पशुओं से निजात मिल सके। इसके बाद विभिन्न जिलों में गौशालाओं को बनाने की कवायद भी तेजी से शुरू हो चुकी है। ऐसे में जगह जगह जमीन तलाश की जा रही है। हाल ही में योगी आदित्यनाथ की कान्हा उपवन गौशाला योजना के तहत मेरठ के परतापुर में बनाई जा रही गौशाला का विरोध किया। वजह है कि उसे भूमि की उचित पैमाइश नहीं दी गई।